श्रावण मास 2025: दो तिथियों से आरंभ होगा शिवभक्ति का महापर्व, जानिए व्रत-त्योहारों की पूरी सूची

दो तिथियों से शुरू होगा पवित्र श्रावण मास 2025

शिवभक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायक श्रावण मास वर्ष 2025 में भी दो अलग-अलग तिथियों से शुरू हो रहा है। इसका कारण है देश में प्रचलित दो भिन्न चंद्र मास गणना प्रणालियाँ — पूर्णिमांत और अमांत। इस पावन माह में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है और यह पूरे भारत में भक्ति, उपवास और विविध धार्मिक अनुष्ठानों का संगम बनकर आता है।

श्रावण मास आरंभ की तिथियाँ (2025)

पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार


उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और छत्तीसगढ़ में श्रावण मास की गणना पूर्णिमा के अगले दिन से की जाती है।

श्रावण मास की शुरुआत: 11 जुलाई 2025, शुक्रवार

अमांत पंचांग के अनुसार

महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और वागड़ क्षेत्र में चंद्र मास की गणना अमावस्या के बाद से होती है।

श्रावण मास की शुरुआत: 25 जुलाई 2025, शुक्रवार

इन दोनों गणनाओं के कारण ही देश में श्रावण मास की तिथियाँ भिन्न होती हैं, हालांकि प्रमुख व्रत और पर्व दोनों ही प्रणालियों में यथावत मनाए जाते हैं।

शिवभक्ति और सावन की महिमा

श्रावण मास को शिवभक्तों के लिए सबसे पवित्र माह माना गया है। इस मास में सोमवार व्रत, शिव अभिषेक, रुद्राभिषेक, शिव चालीसा पाठ, मंत्र जाप, और कांवड़ यात्रा जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। कहा जाता है कि इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से सभी पापों का क्षय होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्रावण मास के प्रमुख व्रत और पर्व


इस मास में लगभग हर दिन कोई न कोई विशेष धार्मिक तिथि या व्रत होता है। नीचे पूर्ण श्रावण मास की तिथि-वार धार्मिक महत्त्व की सूची दी गई है:

शुक्ल पक्ष (प्रथम पक्ष)

—प्रतिपदा: रोटक व्रत

—द्वितीया: औदुम्बर व्रत

—तृतीया: स्वर्ण गौरी व्रत, हरियाली तीज (विवाहित महिलाओं के लिए विशेष)

—चतुर्थी: दूर्वा गणपति व्रत

—पंचमी: नाग पंचमी (नाग देवताओं की पूजा)

—षष्ठी: सुपोदान व्रत

—सप्तमी: शीतला सप्तमी व्रत

—अष्टमी: देवी पवित्ररोपण

—नवमी: कुमारी पूजन

—दशमी: आशा दशमी व्रत

—एकादशी: श्रीधर एकादशी, भगवान विष्णु पूजन

—द्वादशी: विष्णु पवित्ररोपण

—त्रयोदशी: कामदेव षोडश पूजा

—चतुर्दशी: शिव पूजन विशेष रूप से फलदायी

—पूर्णिमा: रक्षा बंधन, हयग्रीव जयंती, श्रावणी उपाकर्म

कृष्ण पक्ष (द्वितीय पक्ष)

—तृतीया: कजरी तीज

—चतुर्थी: संकट चतुर्थी, बहुला चतुर्थी

—पंचमी: मानव कल्पादि व्रत

—षष्ठी: बलराम जयंती

—अष्टमी: कृष्ण जन्माष्टमी (भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव)

—चतुर्दशी: श्रावण शिवरात्रि व्रत

—अमावस्या: पिठोर व्रत (पारंपरिक पारिवारिक रक्षा व्रत)

विशेष पर्व: हरियाली तीज, नाग पंचमी और रक्षा बंधन

श्रावण मास में तीन बड़े पर्व विशेष रूप से श्रद्धा से मनाए जाते हैं:

हरियाली तीज


सौभाग्य की कामना के लिए विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला पर्व, जिसमें झूले, मेंहदी, गीत-संगीत की परंपरा है।

नाग पंचमी

नागों की पूजा का दिन, जिसमें दूध अर्पित किया जाता है और 'नाग स्तोत्र' का पाठ किया जाता है।

रक्षा बंधन


भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व, जो श्रावण पूर्णिमा को आता है।

श्रावण मास में सावधानी और धार्मिक अनुशासन


श्रावण मास में शाकाहार, ब्रह्मचर्य, सात्विकता, और संध्या वंदन जैसे अनुशासनों का पालन किया जाता है। माना जाता है कि इस मास में तन और मन की शुद्धि से ईश्वर अधिक निकट आते हैं।

श्रावण मास केवल भगवान शिव की भक्ति का महीना नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति भी है। इस माह में आस्था, श्रद्धा, पारंपरिक जीवनशैली और परिवारिक मूल्यों का अद्भुत समागम होता है। दो तिथियों से आरंभ होने के बावजूद इसकी आध्यात्मिक महिमा हर क्षेत्र में एक समान बनी रहती है।