शीतला अष्टमी 2020 : जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मंत्र

हर साल होली के बाद चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गैस नहीं चलाया जाता हैं जिसके चलते एक दिन पहले ही भोजन में पकवान तैयार कर लिए जाते हैं। अष्टमी पर मां को बासी भोजन बनाकर भोग लगाया जाता है। बसौड़ा का पर्व उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेषकर राजस्थान में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज हम आपकोइसका महत्व, पूजा विधि और मंत्र के बारे में जानकारी दें जा रहे हैं।

शीतला अष्टमी व्रत का महत्व

शीतला अष्टमी व्रत की आराधना का तरीका एकदम अलग होता है। शीतलाष्मटी के दिन पहले यानी सप्तमी तिथि पर कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। फिर अष्टमी तिथि पर बासी पकवान देवी को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस पर्व पर भोजन नहीं बनता बल्कि उसी चढ़े हुए बासी भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके पीछे तर्क यह है कि इस समय से ही बसंत की विदाई होती है और ग्रीष्म का आगमन होता है, इसलिए अब यहां से आगे हमें बासी भोजन से परहेज करना चाहिए।

इस मंत्र के जप से करें मां शीतला की आराधना

''ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः''
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।