शनि की साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आजमाए ये उपाय

शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता हैं जो व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं। व्यक्ति के जीवन में ऐसा समय भी आता हैं जब शनि की साढ़ेसाती रहती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हैं कि इसका सिर्फ नकारात्मक प्रभाव ही रहता हैं बल्कि यह आपके कर्मों पर निर्भर करता हैं। ज्योतिष के अनुसार जब भी व्यक्ति की कुंडली में जब भी शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं तो साढ़ेसाती प्रभावी होती हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय लेकर आए हैं जिनकी मदद से शनि की साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से अपना बचाव किया जा सकता हैं।

- शमी का वृक्ष घर में लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। इससे न सिर्फ आपके घर का वास्तुदोष दूर होगा बल्कि शनिदेव की कृपा भी बनी रहेगी। इसी तरह काले कपड़े में शमी वृक्ष की जड़ को बांधकर अपनी दांयी बाजू पर धारण करने पर शनिदेव आपका बुरा नहीं करेंगे बल्कि उन्नति में सहायक होंगे।

- शनि साढ़ेसाती से बचने के लिए शिव की उपासना एक सिद्ध उपाय है। नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस उपाय से शनि द्वारा मिलने वाला नकारात्मक परिणाम समाप्त हो जाता है।

- भगवान शिव की तरह उनके अंशावतार बजरंग बली की साधना से भी शनि से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। कुंडली में शनि से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान जी के मंदिर में जाकर अपनी क्षमता के अनुसार कुछ मीठा प्रसाद चढ़ाएं।

- यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, आप खुद को तमाम परेशानियों से घिरा पा रहे हैं तो शमी के वृक्ष की जड़ को काले कपड़े में पिरोकर शनिवार की शाम दाहिने हाथ में बांधे तथा ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: मंत्र का तीन माला जप करें।

- शनि साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी सेवा करें। यदि आप अपने माता-पिता से दूर रहते हैं तो उन्हें फोन से या फिर मन ही मन प्रतिदिन प्रणाम करें। माता-पिता की फोटो अपने पर्स में रखते हैं तो उनके श्री चरणों की तस्वीर भी रखें।

- शनिवार के दिन शनि महाराज को नीले रंग का अपराजिता फूल चढ़ाएं और काले रंग की बाती और तिल के तेल से दीप जलाएं। साथ ही शनिवार के दिन महाराज दशरथ का लिखा शनि स्तोत्र पढ़ें। शनिवार या अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनिदेव का ध्यान करें। फिर एक दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाएं।