आज हैं श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत, जानें इसका महत्व, उपाय और नियम

सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या पवित्रा एकादशी के रूप में जाना जाता हैं जो कि आज सावन के आखिरी सोमवार को हैं। आज भगवान विष्णु के साथ-साथ शिवजी की कृपा भी पा सकते हैं। ऐसे में इस शुभ संयोग में रखा गया व्रत बेहद फलदायी साबित होता हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन का आशीर्वाद मिलता हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने में मदद होती है। आज इस कड़ी में हम आपको इस एकादशी व्रत का महत्व, पूजन विधि, उपाय और नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

व्रत का महत्व


एकादशी तिथि के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है-''मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूँ''। एकादशी की महिमा के विषय में शास्त्र कहते हैं कि विवेक के समान कोई बंधु नहीं और एकादशी के समान कोई व्रत नहीं। पदम् पुराण के अनुसार परमेश्वर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्त्व समझाते हुए कहा है कि बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतनी प्रसन्नता नहीं मिलती जितनी एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलती है।शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है एवं भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। संतान प्राप्ति की कामना के लिए इस व्रत को अमोघ माना गया है। इस व्रत को करने वाले भक्तों को न केवल स्वस्थ तथा दीर्घायु संतान प्राप्त होती है बल्कि उनके सभी प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

पूजन विधि

इस दिन दैहिक, दैविक एवं भौतिक तीन प्रकार के कष्टों को दूर करने वाले भगवान श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए। रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि अर्पित कर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारकर दीप दान करना चाहिए। इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है। संतान कामना के लिए इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। योग्य संतान के इच्छुक दंपत्ति प्रातः स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। पवित्रा एकादशी की कथा का श्रवण एवं पठन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है, वंश वृद्धि होती है तथा समस्त सुख भोगकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। जीवन में आए कष्टों के निवारण के लिए इस दिन पीपल के पत्ते पर अंगूठा चूसते हुए बालकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।

चढ़ाएं तुलसी और बेलपत्र


पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को 108 बेलपत्र की माला चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से नौकरी-बिजनेस में अपार सफलता के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

करें विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ

हर काम में सफलता पाने के साथ हर क्षेत्र में नाम कमाने के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

एकादशी व्रत में क्या न करें

- एकादशी व्रत के दिन चावल, बैंगन, गाजर, शलजम आदि खाना वर्जित है।
- व्रत से एक दिन पूर्व मांस, मदिरा, मसूर दाल, तामसिक भोजन आदि का सेवन न करें।
- व्रत रखने वाले व्यक्ति को स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- व्रत के दिन क्रोध न करें और झूठ न बोलें।
- व्रत रखने वाले को दूसरों की निंदा, घृणा, लोभ, चोरी आदि जैसे घृणित कर्मों से बचना चाहिए।
- एकादशी के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी न काटें। इस दिन कपड़ा और बाल धोना वर्जित है।
- एकादशी वाले दिन घर में झाड़ू न लगाएं क्योंकि ऐसा करने से छोटे जीव जैसे कीट, पतंग, चींटी आदि मर सकते हैं, इससे जीव हत्या का दोष लग सकता है।