सावन का पावन महीना, जिसे भगवान शिव का प्रिय मास माना गया है, श्रद्धा और भक्ति से भरपूर होता है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही सावन के सोमवार के व्रत का भी बेहद खास महत्व होता है। ऐसे समय में श्रद्धालु पूरे मन से पूजा-पाठ और व्रत में जुट जाते हैं। इसी भाव के साथ, सावन माह में आने वाली एकादशियों का भी अत्यधिक धार्मिक महत्त्व है।
एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, लेकिन सावन में इसे रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि सावन में एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को विष्णु भगवान के साथ-साथ शिव जी का भी आशीर्वाद मिलता है। इस महीने में कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी और शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। आइए विस्तार से जानते हैं इन तिथियों और पारण के समय के बारे में।
कामिका एकादशी 2025 कब हैवैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगी और 21 जुलाई को सुबह 9 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि एकादशी व्रत उदया तिथि में रखा जाता है, इसलिए कामिका एकादशी व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा। यह दिन उन श्रद्धालुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है जो शिव और विष्णु दोनों की आराधना करते हैं।
कामिका एकादशी व्रत पारण समयकामिका एकादशी व्रत का पारण 22 जुलाई को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 37 मिनट से 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। इस समय व्रत खोलने से व्रती को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
पुत्रदा एकादशी 2025 कब हैहिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ होगी और 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। इस आधार पर पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। यह एकादशी विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए की जाती है। बहुत से माता-पिता इस दिन व्रत रखकर अपने बच्चों की मंगल कामना करते हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण का समयपुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 6 अगस्त को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सुबह 5 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। पारण के लिए यह समय अत्यंत उपयुक्त माना जाता है और इससे व्रती को विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
एकादशी व्रत का महत्वहिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत न केवल शारीरिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है। एकादशी व्रत रखने वाला व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों का भोग करने के पश्चात अंततः बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।
एकादशी व्रत करने से जीवन में संयम, अनुशासन और भक्ति की भावना बढ़ती है। सावन जैसे पावन माह में यदि इन व्रतों को पूरे श्रद्धा भाव से किया जाए, तो व्यक्ति को दैवीय कृपा की अनुभूति अवश्य होती है।