30 दिसंबर को पड़ रही हैं सफला एकादशी, जानें इस व्रत के फायदे, पूजन विधि और नियम

पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के तौर पर जाना जाता हैं जो कि श्री नारायण को समर्पित होती हैं। इस दिन किए गए व्रत से हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता हैं। एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता हैं। ऐसे में कई लोग इस दिन व्रत-उपवास भी रखते हैं। लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए जरूरी हैं कि इसके नियमों को जाना जाए और उनका अच्छे से पालन किया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको सफला एकादशी के फायदे, पूजन विधि और नियम के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

सफला एकादशी व्रत के फायदे

- सफला एकादशी सफल करने वाली होती है। यदि आपको जीवन के हर कार्य में सफल होना है तो इस एकादशी के दिन विधिवत रूप से शास्त्र सम्मत व्रत रखना चाहिए।
- सफला एकादशी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
- इस दिन नियमपूर्वक व्रत रखने तथा श्री हरि की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रीहरि के साथ ही देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती है और धन समृद्धि बढ़ती है।
- इसका व्रत रखने से लंबी आयु तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।
- पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।

सफला एकादशी पूजन विधि


- सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन लें।
- इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी की दीपक जलाएं।
- उन्हें तुलसी दल भी अर्पित करने के बाद आरती करें।
- आप व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान इसे लेकर संकल्प ले लें।
- भगवान विष्णु को चरणामृत का भोग लगाएं, इसमें तुलसी का एक पत्ता जरूर डालें।
- विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा जरूर करें। बता दें कि एकादशी के दिन चावल खाना माना होता है। इसलिए इस दिन अपने घर में न खुद चावल खाएं ना ही घर के किसी सदस्य को खाने दें।

सफला एकादशी के नियम

- हिन्दू पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सिर्फ दिन के वक्त सात्विक आहार करना चाहिए।
- संध्याकाल में दातुन करके पवित्र होना चाहिए।
- रात्रि के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
- भगवान के स्वरूप का स्मरण करते हुए सोना चाहिए।
- एकादशी के दिन सुबह स्नान करके संकल्प करना चाहिए और व्रत रखना चाहिए।
- श्री विष्णु पूजन के लिए ऋतु के अनुकूल फल, नारियल, नींबू, नैवेद्य आदि 16 वस्तुओं का संग्रह करें। इस सामग्री से श्री विष्णु की पूजा करें।
- दिन में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- पूजा में धूप, दीप एवं नाना प्रकार की सामग्रियों से विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए।
- कलुषित विचार को त्याग कर सात्विक भाव धारण करना चाहिए।
- रात्रि के समय श्रीहरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करें।
- इस एकादशी को अत्यंत भक्ति और श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ, तीर्थ, दान, तप तथा और कोई दूसरा व्रत नहीं है। 5,000 वर्ष तप करने से जो फल मिलता है, उससे भी अधिक सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है।