9 जनवरी, 2021 को नए साल की पहली एकादशी हैं जो कि सफला एकादशी के रूप में जानी जाती हैं। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता हैं और इस दिन भक्तगण आस्था रखते हुए व्रत करते हैं। व्रत कर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता हैं और पुण्य की कामना की जाती हैं। लेकिन जो लोग व्रत नहीं रख पाते हैं तो कुछ नियमों का पालन कर एकादशी के पुण्य को प्राप्त कर सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आपको व्रत रखे बिना भी पुण्य की प्राप्ति हो सकती है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें
एकादशी के दिन पति और पत्नी को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन संयम के साथ रहते हुए शारीरिक संबंध बनाने से दूर रहना चाहिए। वैसे तो पति और पत्नी दोनों को हमेशा ही एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। इस दिन एक-दूसरे को कटु वचन न बोलें और लड़ाई-झगड़ा न करें।
एकादशी के दिन इन चीजों का न करें सेवन
एकादशी का व्रत बहुत ही नियमों के साथ किया जाने वाला व्रत है। माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि चावल का सेवन करने से मनुष्य रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है। इस एकादशी के दिन एकदम सादा खाना ग्रहण करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं भी करते हैं तो भी आपको इस दिन बिना प्याज लहसुन के खाने का सेवन करना चाहिए।
सुबह जल्दी उठें
इस दिन आपको सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ ही शाम के वक्त यानी गोधूलि बेला में सोना नहीं चाहिए। न ही क्रोध करना चाहिए और न ही झूठ बोलना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जप
एकादशी के दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें। इसके साथ ही इस दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
इन चीजों का करें प्रयोग
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और इस दिन किसी को भला बुरा नहीं बोलना चाहिए। सुबह के वक्त लकड़ी के दातुन का प्रयोग न करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें। इस दिन वृक्ष से पत्ते न तोड़ें, गिरे हुए पत्ते का प्रयोग करें।
न करें ये काम
एकादशी के दिन भूल से भी किसी को बाल नहीं कटवाने चाहिए और न ही दाढ़ी बनवाना चाहिए। एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।