भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन सभी भक्त व्रत-उपवास रखकर भगवान कृष्ण की उपासना करते हैं। इस बार यह जन्माष्टमी का व्रत 3 सितंबर को है। इसलिए आज हम आपको इस व्रत से जुड़े नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आपको इस दिन रखे व्रत का फल अधिक मिल सकें। तो आइये जानते हैं कैसे करें कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत।
* जन्माष्टमी के व्रत से पहले रात को हल्का भोजन करें और अगले दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए, ऐसी मान्यता है।
* उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करना चाहिए।
* भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करनी चाहिए।
* इस दिन भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगया जाता है।
* हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥ इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
* रात 12 बजे भगवान का जन्म करें, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें। उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका श्रृंगार करना चाहिए।
* भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं। उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए।
* नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, कहकर कृष्ण को झूला झुलाना चाहिए।
* भगवान कृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें और उनके रातभर मंगल भजन गाना चाहिए।