विधिपूर्वक संपन्न करें श्राद्ध, इन बातों का ध्यान रख पाए पितरों का आशीष

हर कोई अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष के दौरान श्राद्ध करता हैं। जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई हैं उस दिन उनका श्राद्ध किया जाता हैं और तिथि याद ना हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन शराध संपन्न किया जाता हैं। श्राद्ध पक्ष में पितर धरती पर पधारते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में आज हम आपको श्राद्ध से जुड़े कुछ नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनको करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। तो आइये जानते हैं उन नियमों के बारे में।

- श्राद्ध करने के लिए तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है।

- ब्राह्मणों को भोजन और पिंड दान से के जरिए पितरों को भोजन दिया जाता है।

- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दी जाती है।

- श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र (पुत्री की संतान), कुश और तिल चीजों को जरूर सम्मिलित करें।

- सुनिश्चित कुतप काल में धूप देकर पितरों को तृप्त करें।

- तुलसी का प्रयोग सर्वाधिक करें। तुलसी की गंध पितरों के लिए शांतिदायक होती है।

- इस दिन अगर आपके घर में कोई भिखारी आ जाए तो उसे भी आदरपूर्वक भोजन कराना चाहिए।

- पितरों के श्राद्ध के दिन गाय और कौए के लिए भी भोजन निकालना चाहिए।

- जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है।

- श्राद्ध के दिन गाय, मछली, कुत्ता, कौआ, भिक्षुक और चींटी इन्हें आहार देने का अवसर आए तो उसे न चूकें।

- पितृ पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मण के लिए भी नियम है कि श्राद्ध का अन्न ग्रहण करने के बाद कुछ न खाएं।