आश्विन अधिकमास जारी हैं और आने वाली 1 अक्टूबर को मलमास पूर्णिमा हैं जिसका महत्व बहुत आधिक होता हैं। लेकिन इस बार मलमास पूर्णिमा के साथ 165 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो इसके महत्व को और भी बढ़ाता हैं। यह दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी को भी समर्पित होगा। ज्योतिष में इस दिन का महत्व बताते हुए कुछ उपाय बताए गए हैं जिनकी मदद से आप मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पा सकते हैं और जीवन में कभी भी आपको कोई कमी नहीं आएगी। आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।
करें इस चीज का दान
मलमास पूर्णिमा की तिथि पर वस्त्र और अन्न दान देना चाहिए। इन चीजों को दान देने से घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बना रहता है और जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ग्रह-नक्षत्र भी अनुकूल परिणाम देने लगते हैं। शास्त्रों में बताया है कि दान से माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
करें इनका पाठ
मलमास की पूर्णिमा के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ बेहद उत्तम माना गया है। इसका पाठ करने से माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलता है। साथ ही मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की भी प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विष्णु सहस्रनाम का पाठ बेहद पवित्र बताया है। इससे भाग्य उदय होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
मां लक्ष्मी को चढ़ाएं यह चीज
मलमास की पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी को कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही सुबह और शाम माता की पूजा-अर्चना और आरती करें। प्रसाद में लौंग जरूर रखें और पूजा के बाद प्रशाद रूप में ग्रहण करें, साथ ही एक लौंग संभालकर अपने बटुए में भी रख लें। ऐसा करने से कर्ज की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी और कोष में वृद्धि होगी।
ऐशवर्य दिलाएगा यह पाठ
पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी स्तोत्र या कनक धारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शास्त्रों में बताया है कि इस दोनों का पाठ करने से सभी तरह की रिद्धि सिद्धियां प्राप्त होती हैं और राजयोग प्राप्त होता है। साथ ही शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है। इंद्र द्वारा रचित इनके पाठ से ऐशवर्य की प्राप्ति होती है और अपार धन-संपदा के मालिक बनते हैं।
सौभाग्य दिलाएगी यह चीज
मलमास की पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए किसी सुहागन स्त्री को सुहाग की सामग्री उपहार में दें। क्योंकि सुहागन स्त्रियों को मां के समान माना गया है। इसका दान देने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और भाग्य भी साथ देना शुरु कर देता है। साथ ही मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन का सुख भी प्राप्त होता है।