चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आने को हैं और सभी इन दिनों में मातारानी को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इन दिनों में मंत्रोच्चार का बड़ा महत्व होता हैं। इसी के साथ ही रामचरित मानस में भी कुछ दोहे बताए गए हैं जिनका जप आपकी हर इच्छा की पूर्ती करता हैं। तो आइये जानते हैं रामचरित मानस में वर्णित दोहों के बारे में।
विपत्ति नाश के लिए
'राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।'
विद्या प्राप्ति के लिए
'गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल विद्या सब आई।।'
रोग तथा उपद्रवों की शांति हेतु
'दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।'
आजीविका प्राप्ति या वृद्धि हेतु
'बिस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।'
मनोकामना पूर्ति एवं सर्वबाधा निवारण हेतु
'कवन सो काज कठिन जग माही। जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।'
भय व संशय निवृत्ति के लिए
'रामकथा सुन्दर कर तारी। संशय बिहग उड़व निहारी।।'
संपत्ति प्राप्ति के लिए
'जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।'
शत्रु नाश के लिए
'बयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।'