रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को राखी का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस बार 11 अगस्त के दिन बहनें भाइयों को राखी बांधेंगी। लेकिन इस बार 11 अगस्त को पूरा दिन भद्रा का साया है इसलिए अधिकर ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन या तो भद्रा समाप्त होने के बाद यानी रात्रि में मनाया जाए, या फिर 12 अगस्त की सुबह 7 बजे तक बहनें अपनी भाइयों की कलाई पर राखी बांध दें। दूसरी बात ये है कि 11 अगस्त को पूर्णिमा का रात्रिकालीन चांद भी दिखेगा, पूर्णमासी के दिन ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए। इन सारी वजहों से ज्योतिषी 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कह रहे हैं।
11 अगस्त 2022 को रात्रि में 8:51 मिनट तक भद्रा रहेगी, इसलिए इस समय के बाद यानी रात में 8:52 बजे से आप भाइयों की राखी बांध सकते हैं। अगर पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने पर भी भद्रा के बाद ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।
पृथ्वी पर भद्रा का असर नहींज्योतिषविदों का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा जरूर रहेगी, लेकिन इससे त्योहार की समयावधि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल यह भद्रा मकर राशि यानी पाताल लोक में होगी। इसलिए इस भद्रा का पृथ्वी या पृथ्वी पर होने वाले किसी भी मांगलिक कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी आप बेफिक्र होकर किसी भी वक्त भाई की कलाई पर स्नेह और रक्षा का सूत्र बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।
वहीं, कुछ अन्य विद्वानों का कहना है कि पूर्णिमा 12 अगस्त को प्रातः तक रहेगी। उदया तिथि को देखते हुए 12 अगस्त को सूर्यास्त होने तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है।
हालांकि, निर्णयसिंधु में स्पष्ट रूप से लिखा है, कि इदं तु प्रतिपद्-युक्तियां न कार्यम् यानी रक्षाबंधन प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में नहीं करना चाहिए। रतिपदा युक्त पूर्णिमा में रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए, इसलिए बहनें अपने भाइयों को 11 अगस्त को रात्रि में भद्रा के बाद 8:52 मिनट पर राखी बांधे, न कि 12 अगस्त को। 12 अगस्त को श्रावणी कर्म किया जा सकता है।