कुछ दिन शेष, अभी भी कर ले इस तरह विधिपूर्वक शिव की पूजा, होगी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती

सावन का महीना और शिव की भक्ति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। सावन के इस महीने में सभी भक्तगण भगवान शिव की पूजा करते हैं। लेकिन भक्त पूरी तरह विधिपूर्वक पूजा नहीं करते है जिसकी वजह से उनको पूजा का लाभ नहीं मिल पाता हैं। इसलिए आज हम आपको शिव की पूजा की पूर्ण विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे कम से एक बार तो सावन के महीने में जरूर करना चाहिए। अगर आपने अभी तक विधिपूर्वक शिव का पूजन नहीं किया हैं तो सावन में अभी कुछ दिन शेष बचे हैं। इस पूजन को जरूर करें।

* अपने बाएँ हाथ की हथेली में जल लें एवं दाहिने हाथ की अनामिका उँगली व आसपास की उँगलियों से निम्न मंत्र बोलते हुए स्वयं के ऊपर एवं पूजन सामग्रियों पर जल छिड़कें। "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्था गतोsपि वाया स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्रामायंतर: शुचि: ll"

* श्रद्धा भक्ति के साथ घी का दीपक लगाएं। दीपक रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प से पूजन करें। अगरबत्ती/धूपबत्ती जलाये। जल भरा हुआ कलश स्थापित करे और कलश का धूप ,दीप, रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प से पूजन करें।

* सर्वप्रथम गणेशजी और गौरी का पूजन करे। अब शिवजी का ध्यान और हाथ मैं अक्षत पुष्प लेकर ” ॐ नमः शिवाय” मंत्र बोलते हुए शिवजी का आवाहन करे। अक्षत और पुष्प शिवलिंग को समर्पित कर दे। अब शिवलिंग का जल, कच्चे दूध और पंचामृत से अभिषेक करे। गन्ने का रस, भांग, शहद, शिवलिंग को अर्पित करे। पुन: शुद्ध जल से अभिषेक करे।

* चन्दन, अक्षत, सिंदूर, इत्र ,दूर्वां , बिल्व पत्र ,पुष्प और माला अर्पित करे। धुप और दीप दिखाए। शिव जी को चावल सर्वाधिक प्रिय हैं। अतः चावल की खीर, मिठाइयाँ, एवं ऋतुफल जैसे- सेब, चीकू आदि का नैवेद्य अर्पित करे। आचमन के लिए जल अर्पित करे। श्री शिव चालीसा का पाठ करे। अंत मैं शिव आरती करे। पुष्पांजलि समर्पित करे।

* शिव पूजा के बाद अज्ञानतावश पूजा में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए भगवान् शिव के सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए क्षमा याचना करे। "मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं l यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्त्वैमेवl"