वृंदावन के संत श्री प्रेमानंद महाराज आज पूरे देश में अपने आध्यात्मिक ज्ञान और सरल जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देशभर की कई हस्तियां भी उनके आश्रम में दर्शन और मार्गदर्शन लेने आती हैं।
वृंदावन स्थित श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम में प्रेमानंद महाराज प्रतिदिन 50 से 60 भक्तों से मिलकर उनके प्रश्नों का समाधान करते हैं। भक्त उनसे आध्यात्मिक और निजी जीवन से जुड़े सवाल पूछते हैं, और महाराज जी बड़े सहज और स्पष्ट तरीके से उनका उत्तर देते हैं।
प्रसाद को लेकर भक्त का सवालहाल ही में एक भक्त ने महाराज से पूछा: “महाराज जी, भगवान के लिए प्रसाद बनाते समय अगर गलती से उसमें बाल या मक्खी गिर जाए तो क्या हमें नया प्रसाद बनाना पड़ेगा?”
इस पर प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट उत्तर दिया: भगवान के लिए प्रसाद बनाते समय अगर गलती से बाल या कीड़ा गिर जाए तो प्रसाद को फिर से बनाना ही उचित है।
साथ ही महाराज जी ने भक्तों को सावधानी बरतने की भी सलाह दी: भोग समाग्री तैयार करते समय बालों को अच्छे से बांधें और ध्यान रखें कि खाने में कोई कीड़ा, मक्खी या अन्य चीज़ न गिरें।
भोजन बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातेंबाल बांधें और साफ-सफाई रखें: खाना बनाते समय बालों को कपड़े या हेयरबैंड से बांध लें।
कीट-पतंग से बचाव: खाना बनाते समय मक्खी या अन्य कीड़े भोजन में न गिरें, इसका विशेष ध्यान रखें।
बातचीत कम करें: खाना बनाते समय अनावश्यक बातचीत न करें, क्योंकि इससे थूक या अन्य अशुद्धि भोजन में गिर सकती है।
भोग की तैयारी में सावधानी: भगवान को अर्पित करने वाले भोग में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
प्रेमानंद महाराज का योगदानप्रेमानंद महाराज अपने उपदेश और प्रवचनों के माध्यम से लाखों-करोड़ों लोगों को मार्गदर्शन देते हैं। हाल ही में उन्हें जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा संस्कृति पर बोलने की चुनौती दी गई थी, जिसे लेकर चर्चाएं हुईं और कुछ आलोचनाओं के बावजूद महाराज अपने सरल और स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।
प्रसाद बनाते समय इन नियमों का पालन करना न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भक्तों के लिए भी एक सीख है कि भगवान को अर्पित भोजन में पवित्रता और स्वच्छता का विशेष महत्व होता है।