वार के अनुसार मिलता हैं प्रदोष व्रत का फल, जागेगा सोया हुआ भाग्य

आज फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की प्रदोष हैं जो कि भगवान शिव को समर्पित होती हैं और आज के दिन विधिपूर्वक आराधना कर सोया हुआ भाग्य जगाते हुए जीवन के संकटों से मुक्ति पाई जा सकती हैं। प्रदोस्श व्रत सौभाग्य और सुख-शांति की प्राप्ति करवाता हैं। हर दिन के प्रदोष व्रत का अपना महत्व होता हैं। आज हम आपको प्रदोष व्रत की पूर्ण विधि और इसके महत्व के बारे में बताने जा रहे है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

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प्रदोष व्रत विधि

- सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करें।
- नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8‍ दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें।
- इसके बाद धर्म सत्वं वृषरूपेण से नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें।
- शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
- प्रदोष व्रतार्थी को नमकरहित भोजन करना चाहिए।

प्रदोष व्रत का महत्व

- आरोग्य के लिए : रविवार।
- संतान प्राप्ति के लिए : सोमवार।
- ऋण से छुटकारे के लिए : मंगलवार।
- इष्ट प्राप्ति के लिए : बुधवार।
- सफलता के लिए : गुरुवार
- सौभाग्य के लिए : शुक्रवार।
- हर तरह की मनोकामना के लिए : शनि प्रदोष।