आज के समय में कई ऐसे युवा हैं जो विवाह के इच्छुक है लेकिन अभी तक अविवाहित हैं, इनके विवाह में कोई ना कोई परेशानी आ ही जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवाह की इन बाधाओं से आम इंसान तो क्या भगवान श्रीगणेश को भी गुजरना पड़ा हैं। जी हाँ, श्रीगणेश भी अपने विवाह ना होने की परेशानियों से गुजरे हैं। आज गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर हम आपको गणेश जी के विवाह से जुडी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
गणेश जी का मुख गजरुपी होने से कोई भी कन्या उनसे विवाह करने में रूचि नही दिखाती थी। यह बात गणेश जी को चिंतित कर रही थी। वे इसी कारण उदास रहने लग गये थे। जब कोई विवाह में उन्हें आमंत्रित किया जाता तो यह उन्हें दर्द देता था। यह दुःख गणेश जी की सवारी चूहे से नही देखा जा रहा था। अत: जब भी कोई विवाह होना होता, चूहा वहा पहुँच जाता और मंडप को खोखला कर देता। विवाह में काम आने वाले वस्त्रो को काट देता।
अपनी इन परेशानियों को वे माँ पार्वती और शिव जी को बताते है। तब गणेश जी के माता पिता उन्हें ब्रह्मा जी के पास जाकर समाधान मांगने की सलाह देते है। देवता ब्रह्मा जी के पास जाते है और गणेश जी और उनके चूहे के विवाह में डाले गये विध्नो की बात बताते है।
ये सारी बात सुनकर ब्रह्मा जी अपनी सिद्धियों से दो कन्या को प्रकट किया जिनका नाम रिद्दी और सिद्धि था। ब्रह्मा जी ने भगवान गणेश को सुझाव दिया की वे इन दोनों कन्याओ से विवाह करे ले। इस तरह विवाह में कई विध्न आ जाते थे। देवता और मनुष्य के लिए यह गणेश जी का चूहा परेशानी बन गया था।