Nirjala Ekadashi 2020 : क्यों किया जाता हैं शीतल जल का वितरण

भगवान विष्णु की आराधना के लिए निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं क्योंकि इसं दिन का व्रत आपको सभी एकादशी के व्रत का फायदा दिलाता हैं। निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को आती हैं जो कि इस बार 2 जून को हैं। इन दिन किया गया दान शुभ फल प्रदान करता हैं। लेकिन इस दिन शीतल जल का वितरण सबसे बड़ा पुण्य का काम माना जाता हैं। इस दिन शीतल जल के छबीले लगाकर राहगीरों को बुला-बुलाकर बड़ी आस्था के साथ पानी पिलाया जाता है। बस स्टैंडों के आसपास पानी के छबील लगाकर अनेक धार्मिक संगठन दिनभर शीतल जल का वितरण करना बड़े पुण्य का कारण मानते हैं।

निर्जला एकादशी को पानी का वितरण देखकर आपके मन में एक प्रश्न अवश्य आता होगा कि जहां इस दिन के उपवास में पानी न पीने का व्रत होता है तो यह पानी वितरण करने वाले कहीं लोगों का धर्मभ्रष्ट तो नहीं कर रहे हैं? लेकिन इसका मूल आशय यह है कि व्रतधारी लोगों के लिए यह एक कठिन परीक्षा की ओर संकेत करता है कि चारों ओर आत्मतुष्टि के साधन रूप जल का वितरण देखते हुए भी उसकी ओर आपका मन न चला जाए।

साधना में यही होता है कि साधक के सम्मुख सारे भोग पदार्थ स्वयमेव उपस्थित हो जाते हैं। वस्तु पदार्थ उपलब्ध होते हुए उनका त्याग करना ही त्याग है अन्यथा उनके न होने पर तो अभाव कहा जाएगा, अत: अभाव को त्याग नहीं कहा जा सकता। दूसरी ओर जो लोग व्रत नहीं करते लेकिन गर्मी के कारण आकुल हो जाते हैं और उनको ऐसी स्थिति में एक गिलास शीतल पानी मिल जाता है तो उनकी आत्मा प्रसन्न हो जाती है। अत: इस उपासना का सीधा संबंध एक ओर जहां पानी न पीने के व्रत की कठिन साधना है वहीं आम जनता को पानी पिलाकर परोपकार की प्राचीन भारतीय परंपरा भी।