Nirjala Ekadashi 2020 : नारदजी ने भी किया था एक हजार वर्ष तक यह व्रत

समस्त एकादशी का लाभ दिलाने वाली ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात निर्जला एकादशी इस बार 2 जून 2020, मंगलवार को पड़ रही हैं। इसे भीम एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन रखा गया व्रत भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाते हुए समस्त पाप एवं तापों से मुक्ति दिलाता हैं। जगत के पालनहार श्री हरि की कृपा प्राप्त करने हेतु सभी देवता, दानव, नाग, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, नवग्रह आदि इस व्रत को रखते हैं और इसलिए इसे 'देवव्रत' भी कहा जाता है।

पुराण कथा के अनुसार श्री श्वेतवाराह कल्प के आरंभ में देवर्षि नारद की विष्णु भक्ति देखकर ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए। नारद जी ने आग्रह किया कि हे परमपिता! मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएँ जिससे मैं श्री विष्णु के चरणकमलों में स्थान पा सकूं। पुत्र नारद का नारायण प्रेम देखकर ब्रह्मा जी श्री विष्णु की प्रिय निर्जला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। नारद जी ने प्रसन्नचित्त होकर एक हज़ार वर्ष तक निर्जल रहकर यह कठोर व्रत किया।

हज़ार वर्ष तक निर्जल व्रत करने पर उन्हें चारों तरफ नारायण ही नारायण दिखाई देने लगे। परमेश्वर की इस माया से वे भ्रम में पड़ गए कि कहीं यही तो विष्णु लोक नहीं। तभी उनको भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन हुए, उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर नारायण ने उन्हें अपनी निश्छल भक्ति का वरदान देते हुए अपने श्रेष्ठ भक्तों में स्थान दिया और तभी से निर्जल व्रत की शुरुआत हुई।