नवरात्रि कन्या पूजन का फल प्राप्त करने के लिए, इस बात का ध्यान रखना जरूरी

नवरात्रि के नौ दिन मातारानी की पूजा के दिन होते हैं और सभी भक्तगण इन नौ दिनों में कन्या पूजन भी करते हैं, जिन्हें मातारानी के नौ स्वरूपों के रूप में जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कन्या पूजन में नौ कन्याओं के अलावा एक लड़का होना भी जरूरी होता हैं, अन्यथा इस पूजाको पूरा नहीं माना जाता हैं। जी हाँ, कन्या के साथ एक बालक अर्थात लड़के का भी पूजन किया जाता हैं। लेकिन ऐसा क्यों हैं आइये इसके बारे में जानते हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि बालक को बटुक का रूप माना जाता है। वास्तव में हर देवी माता के दरबार में सुरक्षा के लिए भगवान शिव ने अपने स्वरूप भैरव को बैठाया है। देवी के शक्तिपीठ स्थापित करने भगवान शिव स्वयं पृथ्वी पर आए थे। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। वहीं पर भगवान भोलेनाथ ने अपने स्वरुप भैरव को भी हर दरबार में तैनात किया है। मां की पूजा भैरव बाबा के दर्शन किए बिना अधूरी होती है।

इसलिए कन्याभोज के समय 9 कन्याओं के साथ एक बालक का होना शुभ माना जाता है। इसका यह अर्थ भी है कि आपके द्वारा की गई पूजा का फल आपके लिए ही सुरक्षित है। अब यह पुण्य फल कोई और नहीं ले जा सकता। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपकी देवी पूजा का फल बुरी नजरों और ताकतों से बचा रहे तो कन्याओं के साथ बालक का पूजन भी अवश्य करें।