नागपंचमी 2020 : इन पौराणिक कारणों का है बड़ा महत्व

आज का दिन सावन के महीने का एक महत्वपूर्ण दिन हैं जिसे नागपंचमी के रूप में जाना जाता हैं। हर साल सावन शुक्ल पंचमी को इस दिन नाग की पूजा की जाती हैं और जीवन में आ रही तकलीफों का निवारण पाने का आशीर्वाद पाया जाता हैं। आज के दिन शिव के गले का हार बने वासुकी नाग, भगवान विष्‍णु की शैय्या बने शेषनाग, कालिया नाग और तक्षक नाग की प्रमुख रूप से पूजा की जाती है। नागपंचमी पूजा के पीछे कई पौराणिक और सामाजिक कारण माने जाते हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।

भगवान शिव और उनकी 5 नागपुत्रियां

भगवान शिव और देवी पार्वती की 5 कन्याओं का जन्म हुआ। वे पांच कन्याएं नाग रूप में थी। शिवजी की लीला के कारण इनका जन्म होने से देवी पार्वती को इनकी जानकारी नहीं थी। लेकिन शिवजी को अपनी उन पुत्रियों के बारे में पता था और वह उनसे मिलने हर दिन चले जाते थे। देवी पार्वती को भगवान शिव पर शक होने लगा कि आखिर महादेव जाते कहां हैं। एक दिन देवी पार्वती भगवान शिवजी के पीछे-पीछे दबे पांव वहां पहुंच गईं जहां अक्सर शिवजी अपनी नाग पुत्रियों संग खेला करते थे। देवी पार्वती उन कन्याओं को देखकर क्रोधित हो गईं और उन्हें मारने के लिए आगे आईं लेकिन शिवजी ने उन्हें रोक दिया और बताया कि वह उन्हीं की पुत्रियां हैं। ये 5 नाग कन्याएं पृथ्वी पर मनुष्य का कल्याण करेंगी। सावन के महीने में जो इनकी पूजा करेंगे उनके परिवार में सर्पदंश का भय नहीं रहेगा। इनकी कृपा से धन धान्य भी प्राप्त होगा।

यज्ञ में जलने से बचे सांप

सावन में नाग पूजा के पीछे एक अन्य कथा का संबंध भविष्य पुराण में मिलता है। इस पुराण में बताया गया है कि जनमेजय के नाग यज्ञ में जलने से बच जाने पर नागवंशी नागों ने आस्तिक मुनि और राजा जनमेजय से कहा कि सावन के महीने में और पंचमी तिथि को जो लोग नागवंशी नागों की पूजा करेंगे उनके घर में नाग दंश का भय नहीं रहेगा। जो लोग आस्तिक मुनि का नाम भी बोलेंगे और जो अपने घर के बाहर आस्तिक मुनि का नाम लिखेंगे उनके घर में भी नागों का प्रवेश नहीं होगा। इसलिए भी सावन में नागों की पूजा की जाती है। दरअसल आस्तिक मुनि ने ही राजा जनमेजय के यज्ञ में जलने से नागों की रक्षा की थी।

व्यवहारिक कारण

धार्मिक कारणों के अलावा सावन में नाग पूजा का व्यवहारिक कारण भी है। इस समय वर्षा की वजह से बिलों में जल भराव हो जाता है जिससे सर्प जाति बिल से बाहर निकल आते हैं। इस समय धान की खेती की जाती जिससे किसान खेतों में होते हैं जिससे सर्पदंश का भय अधिक रहता है। बिल से बाहर निकलने के बाद सांप सुरक्षित स्थान की तलाश में भटकते हुए लोगों के घरों में भी पहुंच जाते हैं। ऐसे में नागों के भय से मुक्ति के लिए भी लोग इस मौसम में नागों की पूजा करते हैं ताकि उनके परिवार के लोग सुरक्षित रहें।