वसंत पंचमी 2020 : कैसे अवतरित हुई मां सरस्वती, जानें इसकी पौराणिक कथा

बुद्धि और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्मोत्सव हर साल माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता हैं जो कि इस बार 30 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन को वसंत पंचमी या श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहा जाता हैं। इस दिन से प्रकृति में भी कई बदलाव दिखाई देते हैं। सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए फूल आने लगते हैं। आज हम आपको वसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं कि मां सरस्वती कैसे अवतरित हुई। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

सृष्टि की रचना का कार्य जब भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दिया तब खुश नहीं थे। सृष्टि निर्माण के बाद उदासी से भरा वातावरण देख वे विष्णु जी के पास गए और सुझाव मांगा। फिर विष्णु जी के मार्गदर्शन अनुसार उन्होंने अपने कमंडल से जल लेकर धरती पर छिड़का। तब एक चतुर्भुज सुंदरी हुई, जिसने जीवों को वाणी प्रदान की। यह देवी विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी थीं, उनके आने से सारा वातावरण संगीतमय और सरस हो उठा इसलिए उन्हें सरस्वती देवी कहा गया।

इसलिए इस दिन सरस्वती देवी का जन्म बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है और इनकी पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में सरस्वती यंत्र स्थापित करते हैं। इस दिन 108 बार सरस्वती मंत्र के जाप करने से अनेक फायदे होते हैं। वसंत ऋतु के बारे में ऋग्वेद में भी उल्लेख मिलता है। प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। इसका अर्थ है सरस्वती परम् चेतना हैं। वे हमारी बुद्धि, समृद्धि तथा मनोभावों की सुरक्षा करती हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में वसंत को अपनी विभूति माना है और कहा है ‘ऋतुनां कुसुमाकरः’।