Chandra Grahan 2020 : राहु-केतु की वजह से लगता है चंद्रग्रहण, जानें इसकी पौराणिक कथा

आज 5 जून को साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा हैं जो कि एक उपच्छाया हैं। यह रात को 11 बजकर 16 मिनट पर लगेगा जो कि 6 जून की रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहना हैं। विज्ञान के अनुसार जहाँ यह एक खगोलीय घटना हैं, वहीँ शास्त्रों के अनुसार भी इससे एक पुरानी कथा जुड़ी हैं जिसके अनुसार चंद्रग्रहण का कारण राहु-केतु होते हैं। तो आइये जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवासुर संग्राम में जब समुद्र मंथन हुआ तो उस मंथन से 14 रत्न निकले थे उनमें अमृत का कलश भी एक था। अब देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद पैदा शुरू होने लगा, तो इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी के रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ। वह असुर छल से देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गए और अमृत पान करने लगा।

देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को पहचान लिया। इस बात की जानकारी दोनों ने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण से शापित करते हैं। पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण और अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है।