11 मार्च को शिवजी और माता पार्वती को समर्पित महाशिवरात्रि का पावन पर्व हैं। यह दिन शिव-पार्वती के मिलन के लिए जाना जाता हैं। यह त्योहार उनकी वैवाहिक वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। पूरे देश में यह त्यौहार आस्था और उमंग के साथ मनाया जाता हैं और व्रत भी रखा जाता हैं। आपको इस व्रत का पूर्ण लाभ मिल सकें इसके लिए जरूरी है कि व्रत का पालन पूर्ण नियमों के साथ किया जाए। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं नियमों की जानकारी लेकर आए हैं।
ऐसे करें व्रत की शुरुआत
माना जाता है कि महाशिवरात्रि के व्रत की शुरुआत त्रयोदशी से ही हो जाती है और इसी दिन से लोगों को शुद्ध सात्विक आहार लेना शुरू कर देना चाहिए। कुछ लोग तो इसी दिन से व्रत का आरंभ कर देते हैं। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को पूजा करके व्रत करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन शिवजी को भांग, धतूरा, गन्ना, बेर और चंदन अर्पित किया जाता है। वहीं माता पार्वती को सुहागिन महिलाएं सुहाग की प्रतीक चूड़ियां, बिंदी और सिंदूर अर्पित किया जाता है। यदि आप उपवास करते हैं तो पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें और नमक का सेवन न करें। यदि किसी वजह से नमक का सेवन करते हैं तो सेंधा नमक का सेवन करें।
महाशिवरात्रि व्रतविधि
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ऊं नम: शिवाय का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हो, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है। चारों पहर में किए जाने वाले इन मंत्रों के जप से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
व्रत के लाभ
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। खासकर कि उन महिलाओं के लिए जो अविवाहित हैं। माना जाता है कि जो कन्याएं शिवरात्रि का व्रत करती हैं उन्हें जल्द ही व्रत का फल मिलता है और उनके विवाह के शीघ्र ही संयोग बन जाते हैं। वहीं विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और उनके परिवार में खुशहाली रहती है।
व्रत के नियम
- महाशिवरात्रि के व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। यदि फिर भी कोई बीमार है या फिर गर्भवती महिला हैं या बुजुर्ग हैं तो वह व्रत में फलाहारी नमक का प्रयोग कर सकते हैं।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में निद्रा नहीं लेनी चाहिए और रात्रि में भी शिवजी का भजन करके जागरण करना चाहिए। इस दिन पति और पत्नी को साथ मिलकर शिवजी के भजन करने चाहिए। ऐसा करने से उनके संबंधों में मधुरता बनी रहती है।
- माना जाता है कि शिवजी को खट्टे फलों का भोग नहीं लगाना चाहिए और सफेद मिष्ठान का प्रयोग करना चाहिए।