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प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में कुल पांच अमृत स्नान निर्धारित हैं, जिनमें से दो स्नान पहले ही संपन्न हो चुके हैं। अब तीसरा शुभ अमृत स्नान बसंत पंचमी के पावन अवसर पर होगा। महाकुंभ में अमृत स्नान को अत्यंत पवित्र और मोक्षदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन में पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
बसंत पंचमी का महत्वबसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित होता है। यह दिन ज्ञान, संगीत और कला की देवी की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, यानी इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त के सभी शुभ और मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
महाकुंभ में बसंत पंचमी अमृत स्नान 2025 तिथि: 2 फरवरी 2025
अमृत स्नान: महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान
महत्व: मां सरस्वती की कृपा से विद्या, ज्ञान और कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
बसंत पंचमी 2025 पर अमृत स्नान का शुभ मुहूर्तमाघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी 2025 को प्रातः 9:14 बजे से प्रारंभ होकर 3 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त को अमृत स्नान के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इसके अतिरिक्त, शुभ चौघड़िया मुहूर्त में भी स्नान किया जा सकता है।
अमृत स्नान के लिए शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:24 – 6:16
चर मुहूर्त: सुबह 8:30 – 9:52
लाभ काल: सुबह 9:52 – 11:13
अमृत काल: सुबह 11:13 – 12:35
शुभ काल: दोपहर 1:57 – 3:18
अमृत स्नान की विधि मलापकर्षण स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में साधु-संतों के स्नान के बाद जल तट से कुछ दूर शरीर को पवित्र करें। इसे मलापकर्षण स्नान कहते हैं।
संकल्प लें: नदी के जल में घुटनों तक प्रवेश करें। हाथ में जल लेकर पुण्य लाभ और मोक्ष प्राप्ति के लिए संकल्प करें।
स्नान करते समय निम्न मंत्र का जाप करें:
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु॥
स्नान के दौरान सूर्य की ओर मुख करके पाँच बार डुबकी लगाएं।
तर्पण एवं अर्घ्य दें: स्नान के बाद तर्पण करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
दान-पुण्य करें: स्नान के उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण कर पंचदेवों की पूजा करें। ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र एवं दान देकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।