रक्षाबंधन स्पेशल : जानें राखी बांधने की शास्त्रीय विधि और मंत्र

सावन महीने की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता हैं जो कि आज 3 अगस्त, सोमवार को मनाया जाना हैं। आज का दिन भाई-बहिन के रिश्ते के लिए जाना जाता हैं जिसमें प्रेम के धागे की पवित्रता से रिश्ते को और मजबूत किया जाता हैं। बहिन अपने भाई को राखी बांधकर सुखी और लंबी आयु का आशीर्वाद देती है। आज हम आपको शास्त्रीय विधि और परंपरा से राखी बांधने की पूर्ण विधि और इससे जुड़े मंत्र की जानकारी देने जा रहे हैं जिससे यह अधिक प्रभावी और शुभ होता है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- राखी के दिन सबसे पहले स्नान करके पवित्र होना चाहिए और देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। कुल देवी और देवताओं का आशीर्वाद जरूर लें।
- चांदी, पीतल या तांबे की थाली में राखी, अक्षत, रोली या सिंदूर एक छोटी कटोरी में रखें और जल या इत्र से गीला कर लें।

- राखी की थाल को पूजा स्थल में रखें और सबसे पहली राखी बाल गोपल या अपने ईष्ट देवता को अर्पित करें। भगवान से प्रार्थना करें।
- राखी बंधते समय भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- राखी बंधवाते समय भाईयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र रखना चाहिए।|
- बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली या सिंदूर का टीका लगाएं।
- टीका के ऊपर अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत छींटें।|
- भाई की नजर उतारने के लिए दीप से आरती दिखाएं। कहीं-कहीं बहनें अपनी आंखों का काजल भी भाई को लगाती हैं।

- भाई की दायीं कलाई में राखी का पवित्र धागा, मंत्र बोलते हुए बांधे। इससे राखी के धागों में शक्ति का संचार होता है।
- भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
- अगर भाई बड़ा हो तो बहनें भाई के चरण स्पर्श करें, बहनें बड़ी हों तो भाईयों को बहनों के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
- भाई वस्त्र, आभूषण या धन देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।

राखी बांधने का मंत्र :-
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।

सिंदूर, रोली चंदन लगाने का मंत्र :-
“सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्। आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥