
मंगलवार का दिन बजरंगबली हनुमान जी को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में चमत्कारी लाभ मिलते हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करने से जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती हैं और व्यक्ति पर हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है। लेकिन हनुमान चालीसा का पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं कि घर पर हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें, कब करें और किन परिस्थितियों में इसका पाठ नहीं करना चाहिए।
हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा मध्यम स्वर में करना चाहिए और तेज आवाज में या चिल्लाकर पाठ करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, शुद्ध उच्चारण का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है ताकि हर शब्द का सही प्रभाव बना रहे। हनुमान चालीसा का पाठ जल्दबाजी में न करें, बल्कि प्रत्येक दोहे को ध्यानपूर्वक और भावनात्मक जुड़ाव के साथ पढ़ें, जिससे उसका आध्यात्मिक प्रभाव गहरा हो सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ 1, 3, 7, 9 या 11 बार करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार 7 या 21 दिनों तक हनुमान चालीसा का पाठ करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
हनुमान चालीसा पढ़ने का सही तरीका क्या है?हनुमान चालीसा का पाठ करते समय लाल रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पाठ आरंभ करने से पहले शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं और मन में हनुमान जी का ध्यान करते रहें। चालीसा का पाठ करते समय सही दिशा का भी ध्यान रखना आवश्यक है—अत्यधिक शुभ फल प्राप्त करने के लिए मुख पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
किस समय करें हनुमान चालीसा का पाठहनुमान चालीसा का पाठ सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है, लेकिन सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त यानी सुबह 4 से 5 बजे के बीच या फिर रात में सोने से पहले माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करता है, तो उसे विशेष लाभ प्राप्त होता है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए। सूतक काल में, मांस-मदिरा के सेवन के बाद, या बिना स्नान किए पाठ करना अनुचित माना जाता है। इसके अलावा, मन में नकारात्मकता या अशुद्ध विचारों के साथ किया गया पाठ भी पूर्ण फलदायी नहीं होता।