व्यक्ति की चाल दर्शाती है उनका व्यक्तित्व, जाने

ज्योतिष विद्या की ही एक शाखा है सामुद्रिक शास्त्र, जिसके अनुसार व्यक्ति के हावभाव और दैनिक क्रियाओं को देखकर व्यक्ति के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती हैं। जी हाँ, इसी क्रम में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं व्यक्ति की चाल से उसके बारे में जानना। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की चाल अनजाने में ही उसका व्यक्तित्व दर्शाती है। अगर आप किसी के स्वभाव या व्यक्तित्व के बारे में जानना चाहते हैं तो बस आपको जरूरत है व्यक्ति की चाल को देखने का। तो आइये देखते हैं किस तरह चाल दर्शाएँ किसी के व्यक्तित्व के बारे में।

* एक हाथ जेब में डालकर चलने वाले लोग प्राय: शक्की स्वभाव और झक्की प्रवृति के होते हैं। ये अपनी छोटी-छोटी बातें भी छिपाकर नहीं रख पाते हैं। ये व्यक्ति बहुत ही साधारण जीवन व्यापन करते हैं। ये लोग एक नम्बर के आलसी, कामचोर और दगाबाज भी होते हैं।

* जो व्यक्ति कंधे झुकाकर चलते हैं वे लोग किसी भी कार्य को करने में हमेशा आगे रहते है लेकिन उन्हें अपनी मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिल पाती। ये लोग अपनी पूरी जिन्दगी भैतिक सुविधाओं को जुटाने में लगा देते हैं।

* हाथ में मोबाइल या पर्स को थोड़ा आगे करके चलने वाले लोग अक्सर दिखावटी स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग बातचीत में माहिर होते हैं। ये लोग घूमने-फिरने का विशेष शौक रखने वाले होते हैं। ये लोग भौतिक सुखों को जुटाना ही अपने जीवन का लक्ष्य मानते हैं।

* धीरे-धीरे चलने वाले लोग मक्कार होते हैं। इन लोगों में बहुत अहंभाव होता है। ये लोग अपने नष्ट करते हैं। एकाकी जीवन इन्हें बहुत ज्यादा पसंद होता है। इनको दिखावा करना अच्छा लगता है।

* जो लोग गर्दन एक ही दिशा में रखकर और सीना तानकर तेजी से चलते हैं। वो लोग स्वभाव से जल्दबाज होते हैं। ये लोग बहुत सफाई से झूठ बोलने वाले होते हैं। किसी भी स्थिति से अपने आप को बचाना खुब अच्छी तरह आता है।

* हाथ को तानकर और ऊंची गर्दन रखकर जो लोग चलते हैं वे मेहनती होते हैं। ऐसे लोग सबके दुख में काम आने वाले ऐसे व्यक्ति विशाल हृदय वाले होते हैं।

* हाथ ज्यादा हिलाकर चलने वाले लोग सारी जिन्दगी अल्हड़पन का जीवन व्यतीत करते हैं। ये लोग बहुत चौक्कने होते हैं। स्त्रियों का इस तरह चलना उनकी कार्य कुशलता बताता है।

* कंधे लटकाकर चलने वाले व्यक्ति प्राय: मानसिक रूप से दबाव महसूस करते हैं कि इन्हे अपने तन का होश ही नहीं रहता।

* जो लोग दोनों टांगे चौड़ीकर के चलने के आदी होते हैं। ऐसे व्यक्ति दो प्रकार की श्रेणियों में अधिक देखें जाते हैं या तो वे बहुत उच्च श्रेणी के होते हैं या बहुत निम्र श्रेणी के होती हैं।