आखिर कैसे बनता हैं कुंडली में शनि दोष, बचाव के लिए अपनाए ये उपाय

आज शनिवार हैं जो कि शनि देव को समर्पित माना जाता हैं। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता हैं जिसकी टेढ़ी नजर जीवन में समस्याएँ लेकर आती आती हैं। शनि की धीमी चाल की वजह से इसका असर जीवन में लम्बे समय तक रहता हैं। आज हम आपके लिए जानकारी लेकर आए हैं कि कौनसे संयोग होते हैं जब कुंडली में शनि दोष बनता हैं और कैसे उससे बचाव किया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

सबसे पहले कुंडली का चौथा भाव जिसे सुख भाव कहते हैं इस भाव में शनि का होना अच्छा नहीं माना जाता है। यानि यहां शनि की उपस्थिति से व्यक्ति के सुखों में ग्रहण लग जाता है। शनि का राहु और मंगल के साथ होने से दुर्घटना का प्रचंड दुर्योग बनता है। ऐसी स्थिति में जातक को संभल कर वाहन चलाना चाहिए और यात्रा करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए । शनि का सूर्य के साथ संबंध होने से कुंडली में दोष पैदा होता है। इस दोष के कारण पिता-पुत्रों के संबंध खराब रहते हैं। दोनों के बीच मतभेद रहता है।

दरअसल शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं और दोनों के बीच शत्रुता का भाव है। शनि का वृश्चिक राशि या चंद्रमा से संबंध होने पर कुंडली में विष योग का निर्माण होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में असफल होता है। शनि अगर अपनी नीच राशि मेष में हो तो भी जातक को इसके नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

शनिवार के दिन करें शनि दोषों से बचने के ये उपाय

- प्रत्येक शनिवार को शनि देव का उपवास रखें।
- शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः, का 108 बार जाप करें।
- काले या नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- भिखारियों को अन्न-वस्त्र दान करें।