करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार कार्तिक माह कृष्ण पक्ष चतुर्थी गुरुवार, 13 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जा रहा है। करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही कुछ खाती हैं। जाहिर है कि करवा चौथ पर पूरे दिन भूखी-प्यासी रहने वाली महिलाओं को चंद्रोदय का बेसब्री से इंतजार रहता है। शास्त्रों में करवा चौथ के दिन चंद्रमा के दर्शन करने के कुछ नियम बताए गए जिनका पालन करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है...
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए एक थाली सजाएं। थाली में दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुकुम, रोली और चावल से बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें। इस दिन संपूर्ण श्रंगार करें और करवे में जल भरकर मां गौरी और गणेश की पूजा करें। चांद निकलने पर छन्नी से इसे देखें और अर्घ्य दें। इसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें। फिर श्रृंगार की सामग्री का दान करें और अपनी सासू मां से आशीर्वाद लें। इस दिन काले या सफेद वस्त्र धारण न करें।ऐसा हो आपका श्रृंगार
करवा चौथ पर मां गौरी को प्रणाम करने के बाद ही श्रृंगार करें। श्रृंगार में सिन्दूर, मंगलसूत्र और बिछिया जरूर पहनें। हाथों पैरों में मेहंदी या आलता लगाएं। चमकते कपड़े भी सुहाग की निशानी होते हैं। दुल्हन के लिए लाल रंग का शादी का जोड़ा शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। ये रंग प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। अगर अर्घ्य देते समय विवाह के समय की चुनरी धारण करें तो अद्भुत परिणाम मिलेंगे।