नवरात्रि स्पेशल : मां कालरात्रि को समर्पित हैं आज का दिन, जानें देवी के स्वरुप और पूजन के बारे में

नवरात्रि का पावन पर्व जारी हैं जिसमें आज सातवें दिन मातारानी के मां कालरात्रि स्वरुप की पूजा की जाता हैं। आज के दिन माता के इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजन और ध्यान किया जाता हैं। पुराणों के अनुसार मात के इस स्वरुप की उत्पत्ति शुंभ-निशुंभ और उसकी सेना को देखकर मात के भयंकर क्रोध से पनपे श्यामल वर्ण से हुई हैं। माता कालरात्रि के इस भंयकर स्वरूप को देखकर असुर और नकारात्मक शक्तियां भयभीत होती हैं। ऐसे में आज के दिन किया गया पूजन आप पर कृपा बरसाते हुए नकारात्मकता को दूर करती हैं। माता कालरात्रि भक्तों पर परम अनुकंपा दर्शाने वाली हैं। भक्तों के लिए सुलभ और ममतामयी होने की वजह से माता को शुभंकरी भी कहा गया है।

जब देवी ने किया चंड मुंड का वध

देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी कालरात्रि ने युद्ध में चंड मुंड के बालों को पकड़ कर खड्ग से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया। देवी ने चंड मुंड के सिर को लाकर देवी कौशिकी से कहा मैंने चंड मुंड नाम के इन दो पशुओं का सिर काटकर तुम्हारे चरणों में रख दिए हैं। अब युद्ध में तुम स्वयं शुंभ और निशुंभ का वध करो। देवी ने प्रसन्न होकर कालरात्रि से कहा कि, चंड मुड का वध करने के कारण आज से तुम्हें भक्तगण चामुंडा देवी के नाम से भी पुकारेंगे इसलिए देवी कालरात्रि को चामुंडा देवी भी कहते हैं।

माता कालरात्रि का वर्णन पुराणों में

देवी के कालरात्रि की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा से माता भक्तों को वर प्रदान करती हैं और नीचली दायीं भुजा से अभय देती हैं जबकि बायीं भुजाओं में माता खड्ग और कंटीला मूसल धरण करती हैं। कहीं-कहीं माता के हाथों में खड्ग और कटोरी भी बताया जाता है। माता कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और गले में विद्युत की माला शोभा पा रही है जिसकी चमक से ऐसे प्रतीत होता है कि बिजली चमक रही हो। क्रोध में माता की नासिका से अग्नि धधकती है। माता कालरात्रि का वाहन गर्दभ है।

देवी कालरात्रि की साधना से लाभ

देवी कालरात्रि का पिंगला नाड़ी पर अधिकार माना जाता है। यह देवी तमाम सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। इनकी साधना से भविष्य में देखने की क्षमता का विकास होता है। मन से भय का नाश होता है। देवी कालरात्रि अपने भक्तों को भोग और मोक्ष प्रदान करती हैं।

देवी कालरात्रि पूजन

नवरात्र के सातवें दिन देवी को खीर का भोग लगना चाहिए। ऋतु फल भी माता को अर्पित कर सकते हैं। संध्या काल में माता को खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए। माता कालरात्रि की पूजा में लाल गुड़हल के फूलों का विशेष महत्व है। देवी को गुड़हल का फूल बहुत प्रिय है। अगर उपलब्ध हो तो 108 गुड़हल के फूलों की माला बनाकर देवी को भेंट करना चाहिए। इससे देवी कालरात्रि अत्यंत प्रसन्न होती हैं।