भगवान विष्णु ने हर युग में कई अवतारों में धरती पर अवतरित होकर लोगों का भला किया हैं। अब तक भगवान विष्णु के कुल 9 अवतार अवतरित हो चुके हैं और शास्त्रों के अनुसार 10वां अवतार भगवान कल्कि के रूप में अवतरित होगा। शास्त्रों में बताया गया है कि कल्कि भगवान इस धरती पर सावन माह में शुक्ल पक्ष की षष्टि के दिन अवतरित होंगे, इसलिए इस दिन को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन सच्चे दिल से जो भी व्यक्ति भगवान कल्कि की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। इसलिए आज हम आपको भगवान कल्कि की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
कल्कि जयंती पूजा विधि:-इस दिन ब्रह्म मुहूर्त काल में उठें, स्नान-ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम व्रत का संकल्प करना चाहिए।
-तत्पश्चात भगवान कल्कि जी के प्रतिमूर्ति को गंगा स्नान कराना चाहिए।
-उन्हें वस्त्र पहनाएं, भगवान कल्कि जी को पूजा स्थल पर एक चौकी पर अवस्थित करें।-तत्पश्चात भगवान कल्कि जी को जल का अर्घ्य देकर पूजा प्रारम्भ करना चाहिए।
-भगवान कल्कि जी की पूजा फल, फूल, धुप, दीप, अगरबत्ती आदि से करना चाहिए।
-आरती-अर्चना करने के पश्चात पूजा सम्पन्न करना चाहिए।-पूजा सम्पन्न होने पर भगवान कल्कि जी से परिवार के सुख, शांति, वैभव की कामना करना चाहिए।
-इस प्रकार कल्कि जयंती की कथा सम्पन्न हुई।
-प्रेम से बोलिए भगवान श्री विष्णु जी की जय।