श्रावण मास अर्थात सावन का महीना सभी को प्रिय होता हैं। क्योंकि श्रावण मास के इस महीने में बारिश के कारण मौसम भी सुहाना रहता हैं और आध्यात्मिक रूप से भी इस महीने का बड़ा महत्व होता हैं। श्रावण मास में भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने के लिए कई जतन किये जाते हैं। जैसे कि भगवान शंकर का अभिषेक किया जाता हैं, उन्हें कई तरह के फूलों का अर्पण किया जाता हैं और उन्हें खुश करने के हर संभव प्रयास किये जाते हैं। भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने का ऐसा ही एक उपाय हैं महा शिवपुराण का पाठ। श्रावण मास में महा शिवपुराण पाठ का बहुत महत्व होता हैं। आज हम इसी के बारे में जानने जा रहे हैं।
श्रावण मास में शिव महापुराण का पाठ करना चाहिए। यदि न कर सकें तो उसको सुनना चाहिए। शिवजी की उपासना में तीन प्रहर का विशेष महत्व है। व्रत भी तीन प्रहर का ही होता है।
यथासंभव, तीन प्रहर से पहले तक ( शास्त्रों में कहा गया है कि तीन प्रहर तक कथा सुनें) कथा सुननी और कह लेनी चाहिए। आप घर में भी इसका पाठ कर सकते हैं। शिव महापुराण में 11 खंड हैं। सात संहिताएं हैं। 24 हजार श्लोक हैं। विद्देश्वर, रुद्र, शतरुद्री, कोटिरुद्री, उमा, कैलाश और वायु संहिता में शिव महापुराण वर्णित है। यह स्वयं भगवान शंकर द्वारा आख्यायित है।
कलियुग के पापों से मुक्ति का शास्त्र है। इसलिए, श्रावण मास में भगवान शंकरकी कृपा प्राप्त करने के लिए शिव महापुराण के श्रवण-वाचन का महत्व है। श्री शिव महापुराण का पाठ करने वालों को व्रत का पालन करना चाहिए।
प्रयास यह करना चाहिए कि श्रावण पूर्णिमा तक शिव महापुराण संपन्न हो जाए। बहुत अच्छा तो यह है कि शिवरात्रि तक पूरा कर लें। हर अध्याय के बाद भगवान शंकर का जलाभिषेक करें। यदि यह संभव न हो तो हर सोमवार को रुद्राभिषेक करें।