क्यों रखा जाता है मौनी अमावस्या पर मौन, जानें इसका महत्व

24 जनवरी को माघ महीने की अमावस्या है जिसे माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। ज्योतिष में इस दिन का बड़ा महत्व माना जाता हैं और इस दिन किए गए जप, तप और दान का बड़ा महत्व होता हैं। इस दिन लोग तीर्थराज प्रयागराज में संगम स्नान करते हैं जिससे कि सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना पूर्ण होती हैं। मौनी अमावस्या पर मौन व्रत भी रखा जाता है। तो आइये जानते हैं इसके महत्व के बारे में।

फलित ज्योतिष में सूर्य को आत्मा तथा चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। चूंकि मन चंद्रमा की तरह चंचल होता है और अक्सर साधना-आराधना के दौरान भटक जाता है। ऐसे में मन को नियंत्रित करना आवश्यक हो जाता है। मन पर नियंत्रण पाकर ही किसी साधना को निर्विघ्न रूप से पूर्ण किया जा सकता है। मन की कामनाएं अक्सर वाणी के द्वारा प्रकट की जाती हैं। ऐसे में मन पर नियंत्रण पाने के लिए माघ मास की अमावस्या के दिन मौन रखकर स्नान करने का विधान बना।

मान्यता है कि मन और वाणी पर नियंत्रण पाते हुए इस पावन तिथि पर स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है। साथ ही इस दिन किए जाने वाले मौन स्नान से शरीर की सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास भी नहीं होता है। मौन साधना से मिलने वाला पुण्य अक्षय रहता है। संतों के अनुसार मौन व्रत के बगैर मौनी अमावस्या पर स्नान करने से श्रद्धालुओं को पूरा पुण्य नहीं मिलता है।