जलझुलनी एकादशी का होता है विशेष महत्व, दान कर पुण्य कमाने का अच्छा मौका

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी आती है और उनका भी बड़ा महत्व होता है। लेकिन जलझूलनी एकादशी का विशेष महत्व माना जाता हैं, क्योंकि यही वो दिन है जब माँ यशोदा ने श्री कृष्ण द्वारा पहने गए प्रथम वस्त्रों को धोया था।इस दिन कई लोग व्रत-उपवास रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं। आज हम आपको जलझूलनी एकादशी के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइये जानते हैं।

* महत्व
ऐसी मान्‍यता है कि जलझूलनी एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्‍म के बाद पहली बार माता यशोदा ने उनके वस्‍ञ धोये थे, यह उनके जन्‍म के बाद बनाये जाने वाला एक त्‍यौहार हैंं कहते हैं देवी-देवता भी जलझूलनी एकादशी का व्रत करते हैं। मंदिरों में भगवान विष्‍णु और कुछ स्‍थानों भगवान श्रीकृष्ण को पालकी में बिठाकर शोभायाञा निकाली जाती है। इसलिये इसे डोल ग्यारस भी कहते हैं।

एक मान्‍यता के अनुसार कहा जाता है कि भगवान विष्‍णु इस दिन अपने शयन से करवट बदलते हैं जिस कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी या वामन एकादशी भी कहते हैं, इस दिन भ्‍ागवान विष्‍णु के वामन रूप की पूजा अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।