Chaitra Navratri Festival 2018 : नवरात्रा के तीसरे दिन कैसे करें माता चन्द्रघंटा की पूजा

नवरात्र के नौ दिनों में अलग अलग देवियों की पूजा की जाती है। नवरात्रा के तीसरे दिन देवी चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। इनके माथे पर अर्ध चन्द्र सुशोभित है और हाथ में घंटा लिए हुए है जिसके कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ गया। माता की आराधना करने वाला भक्त सिंह की तरह निर्भीक हो जाता है और उसे भूतादि का भय नहीं रहता।

पूजन विधि :

एक साफ स्वच्छ चौकी पर माता चन्द्र घंटा की तस्वीर स्थापित करें और सभी तरफ गंगाजल से शुधिकरण करें। एक घड़े में जल भरकर उसके उपर नारियल रखकर कलश की स्थापना करें। अब संकल्प करें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार से पूजा करें। अब माता का आव्हान करें और आसन ,पाद्य,अर्ध्य आचमन करवाकर माता का पूजन करें . तत्पश्चात माता को स्नान करवाकर श्रृंगार करें सुगन्धित द्रव्य भी चढ़ाएं। माता से सुख स्म्रिधि की याचना करें और आरती की पश्चात मंत्र्पुस्पंजलि से पूजा का समापन करें।

पूजा के दौरान इस ध्यान का पाठ करें

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥


माता का स्तोत्र पाठ

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्टदात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्रीआनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥