Bakrid 2018 : बकरीद पर जाने काबा की बनावट और उसके पीछे के राज के बारे में

काबा Kaba को मुसलमानों का सबसे पाक धार्मिक स्थल माना गया है। बकरीद Bakrid 2018 के इस त्योंहार के पास ही काबा जाने के लिए हज यात्रा शुरू होती हैं। काबा को खुदा का घर माना गया हैं और मक्का में स्थित हैं। यहाँ तक की कुरआन में भी कहा गया है कि हर मुसलमान को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार तो मक्का की यात्रा जरुर करनी चाहिए। आज हम आपको काबा की बनावट और उसके पीछे के राज के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

काबा मक्का के शहर में स्थित एक इमारत है। इस शहर के केंद्र में पत्थरों से बनी इमारत है जो 60 फुट लंबी, 60 फुट चौडी और 60 फुट ऊंची है। इस इमारत को बैतुल्ला, अल्लाह का घर मानते है। इसकी पवित्रता और पुरातनता इतिहास से अधिक पुरानी है। परंपरा से चला आ रहा है कि काबा अल्लाह द्वारा बनाया गया था जो स्वर्ग के आकार में है और इससे बैतूल माअमूर कहा जाता है।

अल्लाह ने इस इमारत का निर्माण करने के लिया ईब्राहिम से उस वक़्त कहा था जब वो साउथर्न डेजर्ट अपनी पत्नी और बेटे के साथ जाने वाला था। पैगंबर ईब्राहिम ने इस जगह का निर्माण किया गया और उसकी अनंत दया से अल्लाह पृथ्वी पर इसी जगह पर ठहराए गए। काबा के चारों ओर अल मस्जिद अल हरम ( पवित्र मस्जिद ) कहा जाता है।

विद्वानों और इतिहासकारों का कहना है कि काबा को 5 से 12 बार फिर से संगठित करने का प्रयास किया गया है। काबा का पहला निर्माण अल्लाह के आदेश पर पैगंबर एडम के द्वारा किया गया था। पैगंबर एडम ने काबे का निर्माण अल्लाह के रूप को धरती पर रहने के लिए किया था। हदीस में उल्लेख मिलता है कि जब खुदा के कहने पर हजरत इब्राहिम और उनके बेटे ईस्माइल ने खुदा का घर बनवाया तो वह आयताकार था। लेकिन काबे का कई बार पुनर्निर्माण हुआ और इस क्रम में इसका आकार बदलकर वर्गकार हो गया है।

हदीस में भी एक जिक्र है कि मुहम्मद साहब अपनी बीबी से कहते हैं कि वह काबे को वही शक्ल देना चाहते हैं जिस शक्ल में हजरत इब्राहिम ने उसे बनाया था। लेकिन उन्होंने अपने दिल की बात इसलिए नहीं मानी क्योंकि लोग अब काबे की उसी बनवट में विश्वास रखने लगे थे जैसा वह आज दिखता है।