हिन्दू धर्म में जहां मंदिरों, देवी-देवताओं का बड़ा महत्व हैं। उसी तरह से धर्म-ग्रंथों को भी विशेष महत्व माना गया हैं। धर्म-ग्रंथों को भी उसी आदर-सत्कार के साथ पूजा जाता हैं। ये धर्म-ग्रन्थ धर्म अक नहीं अपितु इंसान में अच्छे गुण लाने को प्रेरित करती हैं। इन धर्म-ग्रंथों का प्रभाव इतना अधिक होता है कि इसको पढने वाला व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का हो वह इसी का होकर रह जाता हैं। इसलिए हिन्दू धर्म की इन किताबों को दुसरे धर्म का पढने वाला व्यक्ति भी हिन्दू धर्म का ही होकर रह जाता हैं। आज हम आपको उन्हीं धर्म-ग्रंथों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इन हिन्दू धर्म-ग्रंथों के बारे में।
* ऋग्वेद – अथर्ववेद – यजुर्वेद – सामवेद : हिन्दू धर्म में चार वेद है ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद और सामवेद में अलग अलग तरह का ज्ञान और बाते लिखी है। यह चारो प्रभावशाली पुस्तक है, जो इंसान को मनुष्य बनने की शिक्षा देते है। जो इंसान इन पुस्तको को पढ़कर समझ जाता है, वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो खुद को हिन्दू धर्म में परिवर्तित कर ही देता है।
* सत्यार्थ प्रकाश : महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा लिखी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में हिन्दू धर्म का महत्व, कर्तव्य और ऐसी ऐसी बाते लिखी है कि इस किताब को पढ़ने के बाद इंसान हिन्दू धर्म अपना ही लेता है। ऐसा अन्य धर्म के लोगो का मानना है। इसलिए वर्तमान में कई मस्जिद और इस्लामियों में इस पुस्तक को प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योकि इसको पढ़ने वाले लगभग सभी मुसलमान हिन्दू बन ही जाते है।
* श्रीमद भागवत गीता : श्री मद भागवत गीता में जीवन का सार, राजनीति और मानवजीवन से जुड़ी सभी तरह का ज्ञान छुपा हुआ है। इस पुस्तक को जो इंसान समझ लेता है, वह खुद को हिन्दू धर्म में ढाल कर हिन्दू धर्म का पालन करने लगता है और कृष्ण भक्ति में डूबने लगता है। इसलिए कई धर्म में यह पुस्तक पढ़ने से रोका जाता है।
* रामायण : रामयण एक आदर्श पुरुष, आदर्श स्त्री, उच्च जीवन, उच्च चरित्र, उच्च आदर्श, कर्तव्य और जीवन से जुडी हर समस्या का समाधान है। ये किताब इंसान को अच्छा मनुष्य बनने की शिक्षा देता है। इस किताब को समजनेवाला इंसान खुद को हिन्दू धर्म से जोड़ देता है और बाकी सब धर्म भूलकर हिन्दू धर्म को ही मानने लगता है।