गुरु पूर्णिमा तिथि और मूर्हत

भारतीय समाज में गुरु का पद कबीर के दोहों की इन पंक्तियों से ही लगाया जा सकता है "गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।" इस दोहे में गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया हैं। क्योंकि बिना गुरू के ज्ञान का मिलना असम्भव है। तब तक मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनों मे जकड़ा रहता है जब तक कि गुरू की कृपा प्राप्त नहीं होती। इसलिए गुरु की महत्ता को बताने के लिए ही महर्षि वेदव्यास जी के जन्म वाले दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैं।

शास्त्रों में लिखा है कि अगर भगवान से श्रापित कोई है तो उसे गुरू बचा सकता है किन्तु गुरू से श्रापित व्यक्ति को भगवान भी नहीं बचा पाते हैं। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं किन्तु अपने घर में अपने से जो बड़ा है अर्थात पिता और माता, भाई-बहन आदि को भी गुरुतुल्य समझ कर उनकी पूजा की जाती है।

साल 2018 में गुरू पूर्णिमा को 27 जुलाई को मनाया जाने वाला है। इस दिन हम अपने इष्टदेव, जिनको हम अपना भगवान मानते हैं इनका ध्यान भी मंत्र जाप विधि से कर सकते हैं। अगर व्यक्ति ने जाने-अनजाने किसी भी तरह की कोई गलती की है या गलती हो गयी है तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरू से माफ़ी लेनी चाहिए। हांलाकि इस बार ग्रहण के चलते गुरु पूर्णिमा तीन दिन की हैं।

गुरु पूर्णिमा तिथि : 27 जुलाई 2018
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 23:16 बजे (26 जुलाई 2018)
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त : 01:50 बजे (28 जुलाई 2018)