Guru Nanak Jayanti 2018: जानिए कौन थे गुरु नानक देव और क्यों मनाया जाता है यह पर्व, कुछ खास बातें

पूर्णिमा के दिन संवत्‌ 1526 सिखों के पहले गुरु नानक जी का जन्म हुआ था, जिसे विश्वभर में गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) के नाम से मनाया जाता है। इस जयंती को गुरु पर्व (Guru Parv) और प्रकाश पर्व (Prakash Parv) भी कहते हैं। उनके जन्म को लेकर धर्म प्रमुखों में आज भी कई मतभेद हैं, लेकिन जन्म तिथि के अनुसार आज ही के दिन गुरू नानक जयंती पर्व मनाया जाता है। उनका जन्म रावी नदी के किनारे बसे गांव लोखंडी में हुआ था, जोकि अब पाकिस्तान का हिस्सा है। यही कारण है कि गुरू नानक देव की जयंती पर हजारों की संख्या में सिख श्रद्धालु पाकिस्तान के लिए रवाना हो जाते हैं। गुरु नानक ने सिख धर्म की स्थापना की थी। गुरु नानक सिखों के आदिगुरु हैं। गुरु नानक (Guru Nanak) देव जी अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे। नानक देव (Guru Nanak Dev Ji) ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए अनेक यात्राएं की थी। इस अवसर पर कई सिख अखंड पाठ का आयोजन कराते हैं, जिसमें गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। करीब 48 घंटे तक अखंड पाठ का आयोजन कर सभी सिख गुरू नानक देव की जयंती से एक दिन पहले प्रभात फेरी पर निकालते हैं। गुरु नानक जी की जंयती के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें आपके लिए लेकर आए है

- गुरु नानक देव जी (Guru Nanak) का अवतरण (Guru Nanak Birthday) संवत्‌ 1526 में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन हुआ था। नानक जी का जन्म रावी नदी के किनार स्थित तलवंडी नामक गांव खत्रीकुल में हुआ था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया।

- कुछ विद्वान गुरू नानक देव (Guru Nanak) की जयंती 15 अप्रैल 1469 भी मानते हैं। यही कारण है कि ये लोग 15 अप्रैल को भी गुरू नानक की जयंती मनाते हैं।

- गुरु नानक जी (Guru Nanak) का विवाह सन 1487 में माता सुलखनी से हुआ। उनके दो पुत्र थे जिनका नाम श्रीचन्द और लक्ष्मीचन्द था।

- गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था।

- गुरु नानक बचपन से सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे।

- गुरु नानक के बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे।

- गुरु नानक (Guru Nanak Ji) ने बचपन से ही रूढ़िवादिता के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत कर दी थी। वे धर्म प्रचारकों को उनकी खामियां बतलाने के लिए अनेक तीर्थस्थानों पर पहुंचे और लोगों से धर्मांधता से दूर रहने का आग्रह किया।

- गुरु नानक कहते थे कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिए हैं। मूर्तिपुजा, बहुदेवोपासना को नानक जी अनावश्यक कहते थे। हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत का प्रभाव पड़ता था।

- ऐसा कहा जाता है कि नानकदेव जी को उनके पिता ने व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए और कहा- इन 20 रुपये से सच्चा सौदा करके आओ। नानक देव जी सौदा करने निकले। रास्ते में उन्हें साधु-संतों की मंडली मिली। नानकदेव जी साधु-संतों को 20 रुपये का भोजन करवा कर वापस लौट आए। पिताजी ने पूछा- क्या सौदा करके आए? उन्होंने कहा- 'साधुओं को भोजन करवाया। यही तो सच्चा सौदा है।

- गुरु नानक जी का कहना था कि ईश्वर मनुष्य के हृदय में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।

- गुरु नानक जीवन के अंतिम चरण में करतारपुर बस गए। उन्होंने 25 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए।