गणेशोत्सव का समय चल रहा हैं और हर बार की ही तरह इस बार भी पूरे देश में गणेशोत्सव का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा हैं। गणेशोत्सव के इन दिनों में भक्तगण गणपति जी की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेते हैं और चाहते है कि उनके सभी दुख-दर्द दूर हो। इन दिनों में गणपति जी के विभिन्न अवतारों की पूजा की जाती हैं। इसी में से गणपति जी का एक अवतार हैं वक्रतुंड अवतार। क्या आप जानते हैं कि गणपति जी ने वक्रतुंड अवतार क्यों लिया था। आइये आज हम बताते हैं आपको गणपति जी के वक्रतुंड अवतार के पीछे की कहानी।
वक्रतुंड का अवतार राक्षस मत्सरासुर के दमन के लिए हुआ था। मत्सरासुर शिव भक्त था और उसने शिव की उपासना करके वरदान पा लिया था कि उसे किसी से भय नहीं रहेगा। मत्सरासुर ने देवगुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र भी थे सुंदरप्रिय और विषयप्रिय, ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे। सारे देवता शिव की शरण में पहुंच गए। शिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे गणेश का आह्वान करें, गणपति वक्रतुंड अवतार लेकर आएंगे। देवताओं ने आराधना की और गणपति ने वक्रतुंड अवतार लिया। वक्रतुंड भगवान ने मत्सरासुर के दोनों पुत्रों का संहार किया और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया। वही मत्सरासुर कालांतर में गणपति का भक्त हो गया।