गणेशोत्सव के समय में गणपति जी के हर मंदिर में पूजन और आरती का सिलसिला चलता ही रहता हैं। गणपति जी की आरती में आपने गणपति जी के एक नाम एकदंत का वर्णन तो सुना ही होगा और आप जानते भी होंगे कि गणपति जी एकदंत क्यों कहलाए। लेकिन क्या आप जानते है कि एकदंत, गणपति जी के एक अवतार का नाम भी हैं। जी हां गणपति जी ने एकदंत के रूप में अवतार लिया था। लेकिन क्यों, आइये हम बताते हैं इसके बारे में।
महर्षि च्यवन ने अपने तपोबल से मद की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से दीक्षा ली। शुक्राचार्य ने उसे हर तरह की विद्या में निपुण बनाया। शिक्षा होने पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया। सारे देवता उससे प्रताडि़त रहने लगे। मद इतना शक्तिशाली हो चुका था कि उसने भगवान शिव को भी पराजित कर दिया। सारे देवताओं ने मिलकर गणपति की आराधना की। तब भगवान गणेश एकदंत रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं थीं, एक दांत था, पेट बड़ा था और उनका सिर हाथी के समान था। उनके हाथ में पाश, परशु और एक खिला हुआ कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया।