सावन स्पेशल : भूलकर भी शिवलिंग की पूजा के दौरान ना करें ये गलतियां

शिव जी की कृपा पाने का सबसे बेहतर समय हैं सावन का यह महीना जो कि शिव को अतिप्रिय हैं। सावन के इस महीने में कुंवारी लड़कियां अच्छे वर और शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करते हुए सोमवार का व्रत करती हैं। इस दौरान शिवलिंग की पूजा कर शिव को प्रसन्न किया जाता हैं। पूर्ण फल पाने के लिए जरूरी हैं कि शिवलिंग की पूजा से जुड़े नियमों का ध्यान दिया जाए। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- सबसे पहले शिवलिंग को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर तैयार पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए।

- भगवान भोलेनाथ को भस्म अति प्रिय होने से शिवलिंग पर इससे 3 आड़ी ढंग से लकीरों से तिलक लगाना शुभ होता है।

- अब दूध मिश्रित जल में थोड़े से काले तिल मिलाकर अर्पित करें। उसके बाद 3 पत्तियों वाले 3 बेलपत्र चढ़ाएं।

- शिव पूजा में हमेशा कनेर, धतूरे, आक, चमेली और जूही के फूलों को चढ़ाना चाहिए।

- भगवान को प्रसाद के तौर पर खीर, फल, आटे का चूरमा आदि चढ़ाएं। साथ ही इस बात खास ध्यान रखें कि उनको अर्पित किया हुआ प्रसाद खुद नहीं खाना चाहिए।

- शिव जी की पूजा में हल्दी और सिंदुर चढ़ाना निषेध होता है। असल में ये चीजें सौभाग्य का प्रतीक होते है और भगवान शिव के वैरागी होने से उन्हें ये नहीं अर्पित करनी चाहिए।

- शिव जी को चावल अर्पित किए जाते है। मगर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी चावल खंडित यानि टूटा हुआ न हो।

- धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार शिव जी ने केतकी के फूलों का त्याग किया था। इसलिए इनकी पूजा में इन फूलों को शामिल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा केवड़ा और चंपा के फूल शिव जी को नापसंद होने के कारण इन्हें भी शिवलिंग पर अर्पित करने की गलती न करें।

- शिवलिंग की कभी परिक्रमा नहीं ली जाती है। बल्कि हमेशा शिव मंदिर की परिक्रमा करने चाहिए और वो भी आधी।