जानिए क्या है दीवाली पूजा में चावल का महत्व

हम अच्छी तरह जानते है की हिन्दुत्व में जब भी दीवाली पूजा का कार्यक्रम होता है तो पूजन थाल में श्वेत चावल जरुर प्रयोग में लाये जाते है। इन चावलों का दिवाली पूजा में होना अनिवार्य माना जाता है। बिना इनके पूजा संपन्न नही मानी जाती है। चावल को अक्षत भी कहा जाता है क्योंकि अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। कोई भी पूजन अक्षत के अभाव में अधूरा है। पूजन करते वक्त गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम के उपरांत अक्षत चढ़ाने का विधान है। पूजन कर्म में इस सफेद रंग के चावल का होना अति शुभकारी है। यह पूर्णता का घोतक है जो पूजा के सम्पूर्णता का परिचायक है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दिवाली पूजा में चावल या अक्षत का क्या महत्व हैं, आइये जानते हैं।

# अक्षत को अन्न में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जो खाने के काम भी आता है, अत: इसे ईश्वर को चढ़ाना यह दिखाता है की हम आपके आभारी है और शांति के इस सफ़ेद प्रतीक को आपको भेट करते है। इसी तरह आप भी हमारे अन्न में कभी कमी ना आने दे और हमारे बाहरी और आंतरिक शांति बनाये रखे।

# पूजा में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो। चावल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि चावल टूटे न हों। चावल साफ एवं स्वच्छ होने चाहिए। जो शुभता का प्रतीक है।

# अक्षत के रुप में चावल अर्पित करके भगवान से यह प्रार्थना की जाती है कि हम जो भी अन्न धन कमाते हैं या हमारे पास जो कुछ भी है वह आपको अर्पित है। ऐसा करके हम चोरी के अपराध से मुक्त हो जाते हैं।

# चावल का रंग सफेद होने के कारण ये शांति का भी प्रतीक माना जाता है। अत: हमारे प्रत्येक काम को पूरे होने पर और उसका फल हमें शांति से मिल सके।

# शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अखंडित चावल की तरह अखंडित धन,मान-सम्मान प्रदान करते हैं। श्रद्धालुओं को जीवन भर धन-धान्य की कमी नहीं होती।

# शास्त्रों और पुराणों में बताया गया है कि अन्न और हवन यह दो साधन है जिनसे ईश्वर संतुष्ट होते हैं। मानव की तरह अन्न से देवता और पितर भी तृप्त होते हैं। इनकी तृप्ति से ही घर में खुशहाली और अन्न धन की वृद्घि होती है। इसलिए भगवान को अक्षत के रुप में अन्न अर्पित किया जाता है। इन धार्मिक कारणों के अलावा एक व्यवहारिक कारण भी जिससे भगवान को अक्षत अर्पित किया है।