Parsi New Year 2021 : आज मनाया जा रहा है पारसी न्यू ईयर, जानें क्या है इसका इतिहास

विभिन्न पर्वो, उत्सवों और मेलों के देश भारत में हर समुदाय के पर्वों में समान उत्साह देखने को मिलता है। हिन्दुओं का त्यौहार हो या मुसलमानों का या फिर ईसाईयों का यहां तक कि भारत में पारसी समुदाय के त्यौहारों की भी धूम देखने को मिलती है। आज पारसी समुदाय का मशहूर त्यौहार नवरोज यानि नव वर्ष है।

पारसी नव वर्ष (new year) पारसी समुदाय (community) के लिए बेहद आस्था और उत्साह का विषय है। नवरोज एक ऐसा पर्व है जिसका पारसी समुदाय साल भर इंतजार करते हैं क्योंकि इस दिन परिवार के सब लोग एकत्र होकर पूरे उत्साह के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। पारसी समुदाय के लोग अपनी परंपराओं से जुड़े हुए हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक है नवरोज। नवरोज एक फारसी शब्द है। जो नव और रोज से मिलकर बना है।

नवरोज में नव का अर्थ होता है नया और रोज का अर्थ दिन है। इसलिए नवरोज को एक नए दिन के प्रतीक के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। ईरान में नवरोज को ऐदे नवरोज कहा जाता है।

नववर्ष नवरोज मनाने के लिए पीछे क्या है इतिहास

3000 साल पहले जिस दिन ईरान में शाह जमशेद ने सिंहासन ग्रहण किया उसे नया दिन या नवरोज़ कहा गया। यह दिन जरथुस्त्र (Zarathustra) वंशियों का नए वर्ष का पहला दिन माना जाने लगा। यह त्यौहार विश्व के कई हिस्सों में समान हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जैसे ईरान, इराक, बरहीन, लेबनान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान आदि। भारत में भी यह दिन पारसियों का नया दिन माना जाता है।

नवरोज को मनाने की परंपरा

पारसी लोग नवरोज फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोग मानते हैं कि इस दिन पूरी कायनात बनाई गई थी। पारसी लोग नववर्ष के दिन विशेष पकवान बनाते हैं। इनमें मीठा रवा, सिवई, पुलाव, मछली तथा अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन घर आने वाले मेहमानों का स्वागत गुलाब जल छिड़कर किया जाता था।

पारसी परंपरा के अनुसार इस दिन लोग मेज पर कुछ पवित्र वस्तुएं रखते हैं। इनमें जरथुस्त्र की तस्वीर, मोमबत्ती, दर्पण, अगरबत्ती, फल, फूल, चीनी, सिक्के आदि शामिल हैं। माना जाता है कि इससे परिवार के लोगों की आयु और समृद्धि बढ़ती है।

नवरोज के दिन परिवार से सभी लोग प्रार्थना स्थलों पर जाते हैं। पुजारी को धन्यवाद देने वाली प्रार्थना विशेष रूप से करते हैं। पवित्र अग्नि में चन्दन की लकड़ी चढ़ाने की परंपरा भी है। उपासना स्थल पर चन्दन की लकड़ी अग्नि को समर्पित करने के बाद पारसी समुदाय के लोग एक दूसरे नवरोज की शुभकामनाएं देते हैं।

साल 2021 में पारसी न्यू ईयर अगस्त महीने की 16 तारीख यानी आज मनाया जा रहा है। पारसी न्यू ईयर को जमशेदी नवरोज, नवरोज, पतेती और खोरदाद साल के नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। 21 मार्च को भी पारसी समुदाय नवरोज मनाता है।