फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है जो कि इस साल शुक्रवार, 21 फरवरी को मनाया जाना हैं। इस बार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। महाशिवरात्रि को शिव पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। भक्तगण इस दिन पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन इसी के साथ ही शिव पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और भूलकर भी इन गलतियों को ना किया जाना चाहिए।
महाशिवरात्रि 2020 : राशिनुसार करें इन मन्त्रों का जाप, शिव के साथ विष्णु भी देंगे वरदान
महाशिवरात्रि 2020 : शिवपुराण के अनुसार इस तरह करें पूजन, मिलेगा पूर्ण लाभ
तुलसी पत्ता
जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं होती है।
काला तिल
यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।
टूटे हुए चावल
भगवान शिव को अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता है।
कुमकुमयह सौभाग्य का प्रतीक है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।
शंख जल
भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव की नहीं।
पुष्पभगवान शिव की पूजा में केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए।
करताल
भगवान शिव के पूजन के समय करताल नहीं बजाना चाहिए।