Navratri 2020 : मनोकामना पूर्ण होने पर माता के इस मंदिर में चढ़ाया जाता हैं सोने व मिट्टी का घोड़ा

नवरात्रि का आज तीसरा दिन हैं। नवरात्रि के ये नौ दिन मातारानी की पूजा के लिए जाने जाते हैं और इन दिनों में मंदिरों में भक्तगण दर्शन को उमड़ते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मातारानी के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो भक्तों की मनोकामना के लिए जाने जाते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर सोने व मिट्टी का घोड़ा चढ़ाया जाता हैं। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मौजूद माता के शक्तिपीठ मंदिर के बारें में।

कुरुक्षेत्र में भद्रकाली देवीकूप मंदिर स्थित है। मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर में सती माता का दायां टखना गिरा था और इसके बाद यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है। आइए, आपको बताते हैं कि इस मंदिर की क्या खासियत है और लोगों के बीच किस तरह की मान्यताएं हैं। भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव सती के मृत देह को लेकर ब्राह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र के जरिए सती के शरीर को कई हिस्सों में बांट दिया। जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे वहां पर शक्तिपीठ की स्थापना की गई।

मां भद्रकाली देवीकूप में सती माता का दायां टखना गिरा था। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का यहां मुंडन संस्कार भी करवाया गया था। इस मंदिर का संबंध महाभारत से भी माना जाता है। युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मां भद्रकाली की पूजा-अर्चना करने को कहा था। अर्जुन ने कहा था कि युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद वह यहां पर घोड़ा चढ़ाने आएंगे। युद्ध जीतने के बाद अर्जुन ने माता को अपना श्रेष्ठ घोड़ा अर्पित किया था। तभी से ऐसी मान्यता है कि यहां पर श्रद्धालु सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।