बकरीद का त्योंहार मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए खुशियाँ लेकर आता हैं। मुस्लिम सम्प्रदाय में इस दिन कुर्बानी का बड़ा महत्व माना जाता हैं, इसलिए इस दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुर्बानी के लिए जानवरों का खासतौर से चयन किया जाता हैं। जी हाँ, कुर्बानी के लिए जानवरों के चयन से भी कुछ नियम जुड़े हुए होते हैं, जिनका अनुसरण किया जाता हैं। तो आइये आज हम बताते हैं आपको कुर्बानी के लिए जानवरों के चयन से जुडी बातें।
काफी रोचक बात है, लेकिन कुर्बानी के लिए खासतौर पर जानवरों का चयन किया जाता है। बकरा या फिर ऊंट कुर्बान किए जा सकते हैं लेकिन वह किस रूप एवं अवस्था में हों, यह जान लेना बेहद जरूरी होता है। इसके भी कई नियम एवं कानून हैं, जिनका उल्लंघन करना आल्लाह के नियमों की तौहीन करने के समान है।
इसलिए जानकारी के अनुसार, वह पशु कुर्बान नहीं किया जा सकता जिसमें कोई शारीरिक बीमारी या भैंगापन हो, सींग या कान का अधिकतर भाग टूटा हो या जो शारीरिक तौर से बिल्कुल दुबला-पतला हो। बहुत छोटे पशु की भी बलि नहीं दी जा सकती। कम-से-कम उसे दो दांत (एक साल) या चार दांत (डेढ़ साल) का होना चाहिए।
कब कुर्बानी दी जाए इसके लिए भी कड़े कानून हैं, जैसे कि कुर्बानी ईद की नमाज के बाद की जाती है, इससे पहले कुर्बानी देने का कोई अर्थ नहीं है। तथा कुर्बानी के बाद मांस के तीन हिस्से होते हैं। एक खुद के इस्तेमाल के लिए, दूसरा गरीबों के लिए और तीसरा संबंधियों के लिए। वैसे, कुछ लोग सभी हिस्से गरीबों में बांट देते हैं।