ग्रह जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं वह जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते है।
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करें और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपें तो जीवन सुखी बनाये।
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ग्रह-सूर्य
रत्न- माणिक्य
धातु-ताम्र
अन्न -गेहूं
वस्त्र- लाल
माला - रक्तमणि
मंत्र -ॐ ह्राँ हीं सः सूर्याय नमः
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ग्रह- चंद्र
रत्न- मोती
धातु- चाँदी
अन्न - चावल
वस्त्र- सफ़ेद
माला- मोती
मंत्र -ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
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ग्रह- मंगल
रत्न- मूंगा
धातु- ताम्र
अन्न - मसूर
वस्त्र- लाल
माला- मूंगा
मंत्र -ॐ क्राँ क्रीं क्रों सः भौमाय नमः
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ग्रह- बुध
रत्न- पन्ना
धातु- कांसा
अन्न - मूंग
वस्त्र- हरा
माला- हारिल
मंत्र -ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः
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ग्रह- गुरु
रत्न- पुखराज
धातु- सोना
अन्न - चनादाल
वस्त्र- पीला
माला- पीली हल्दी
मंत्र -ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः
# ग्रह- शुक्र
रत्न- हीरा
धातु- चाँदी
अन्न - चावल
वस्त्र- सफ़ेद
माला- स्फटिक
मंत्र- ॐ द्राँ द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः
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ग्रह- शनि
रत्न- नीलम
धातु-लोहा
अन्न - उड़द दाल
वस्त्र- काला
माला- नीलमणि
मंत्र- ॐ प्राँ प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नमः
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ग्रह- राहु
रत्न- गोमेद
धातु-सीसा
अन्न - तिल
वस्त्र- नीला
माला- कृष्णा
मंत्र- ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः
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ग्रह-केतु
रत्न- लहसुनिया
धातु- लोहा
अन्न - तिल
वस्त्र- द्रुमवर्ण
माला- नौरंगी
मंत्र- ॐ स्राँ स्रीं स्रों सः केतवे नमः