श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण को भी करना चाहिए इन नियमों का पालन

अश्विन मास का शुक्ल पक्ष श्राद्ध पक्ष कहलाता हैं जो कि जारी हैं और 17 सितंबर तक रहेगा। इन दिनों में अपने पूर्वजों के धरती आगमन पर सभी उन्ही तृप्ति के लिए श्राद्ध पूजन करते हैं और ब्राहमण को भोजन ग्रहण करवाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण को भी कुछ नियमों का पालन करना होता हैं ताकि इसका पूर्ण फल प्राप्त हो सकें। आज हम आपको श्राद्धभोक्ता और श्राद्धकर्ता द्वारा अपनाए जाने वाले नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्राद्धभोक्ता को अपनाने चाहिए ये नियम

- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध भोज वाले दिन श्राद्धकर्ता के अतिरिक्त कहीं अन्यत्र भोजन नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध का भोजन करते समय मौन रहकर भोजन ग्रहण करना चाहिए, केवल हाथों के संकेत से अपनी बात प्रकट करनी चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध के भोजन की प्रशंसा या निंदा नहीं करनी चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी को दान नहीं देना चाहिए।
- श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

श्राद्धकर्ता को अपनाने चाहिए ये नियम

- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना, तेल मालिश करने का निषेध है। श्राद्धकर्ता को श्राद्धवाले दिन ये सब कार्य नहीं करने चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और स्त्री-संसर्ग नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी अन्य व्यक्ति के घर या अन्य स्थान पर भोजन नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी से दान या भेंट स्वीकार नहीं करना चाहिए।
- श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मण भोजन के उपरांत ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।