कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनाया जाता हैं, जो कि इस बार 3 सितम्बर को मनाया जा रहा हैं। यह दिन कृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता हैं। इसलिए इस पावन पर्व पर हम आपको कृष्ण के द्वारा अर्जुन को दिए गए कुछ उपदेशों के बारे में बताने जा रहे हैं। आज हम आपको गीता के कुछ अध्यायों का सारांश बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इन अध्यायों के बारे में।
* तेहरवां अध्याय
तेरहवें अध्याय में एक सीधा विषय क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का विचार है। यह शरीर क्षेत्र है, उसका जाननेवाला जीवात्मा क्षेत्रज्ञ है। * चौदहवां अध्याय
इस अध्याय का नाम गुणत्रय विभाग योग है। यह विषय समस्त वैदिक, दार्शनिक और पौराणिक तत्वचिंतन का निचोड़ है। -सत्व, रज, तम नामक तीन गुण हैं। अकेला सत्व शांत रहता है और अकेला तम भी निश्चेष्ट रहता है, किंतु दोनों के बीच में रजोगुण उन्हें सक्रिय करता है।
* पंद्रहवां अध्याय
पंद्रहवें अध्याय का नाम पुरुषोत्तमयोग है। इसमें विश्व का अश्वत्थ के रूप में वर्णन किया गया है। नर या पुरुष तीन हैं, क्षर, अक्षर और अव्यय। इनमें पंचभूत क्षर है, प्राण अक्षर है और मनस्तत्व या चेतना की संज्ञा अव्यय है।